लघुकथा : अल्ट्रासाउंड


- विक्की नरूला -
सुजाता फिर से गर्भवती हुई। परिवार में फिर आस जगी कि इस बार सुजाता बेटे को ही जन्म देगी। सुजाता के पति अमन ने भी इस बार चाहा कि सुजाता एक पुत्र को जन्म दे, इसलिए वह सुजाता को लेकर अल्ट्रासाउंड करवाने शहर चला गया। अमन बहुत चिन्ताजनक स्थिति में डॉक्टर साहब से मिला तथा डॉक्टर साहब से बोला, ‘‘डॉक्टर साहब, मेरी पत्नी का अल्ट्रासाउंड करके बताएं कि गर्भ में लड़का है या लड़की? यदि लड़की हुई तो मैं अबोर्शन करवा दूंगा।’’
 डॉक्टर साहब ने अमन को समझाते हुए कहा, ‘‘अमन जी, लड़का या लड़की तो भगवान की देन हैं। भगवान ने मुझे भी दो लड़कियां दी हैं। मेरे पास भी लड़का नहीं है। मैंने दोनों लड़कियों को अच्छी शिक्षा दी, उन्हें खूब पढ़ाया-लिखाया। दोनों की शादी अच्छे घरों में की। आज जब भी उन्हें पता चलता है कि मेरी या उनकी मां की तबीयत खराब है तो फौरन दोनों दौड़ी चली आती हैं। वहीं दूसरी ओर मेरे भाई साहब के दो लड़के हैं। दोनों शहर में अपनी पत्नियों के साथ रहते हैं परन्तु उनका हालचाल जानने दोनों बेटों में से कोई नहीं आता। इसलिए मेरी मानो तो लड़कियां लड़कों से कहीं बेहतर हैं।’’
 डॉक्टर साहब की बात अमन को अच्छी लगी। वह अपनी पत्नी का अल्ट्रासाउंड करवाए बिना ही सुजाता को लेकर अपने घर की ओर चल दिया। (एम सी एन)
(लेखक देश की तीन प्रतिष्ठित फीचर एजेंसियों के समूह ‘मीडिया केयर ग्रुप’ से जुड़े हैं)

Comments

रंजना said…
आश्चर्य....

अमूमन ऐसा होता नहीं है...

पर ईश्वर से प्रार्थना है की सबको सद्बुद्दी दें और लोग बेटियों को भी इस धरती पर आने दें,उनका स्वागत करें..

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