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Showing posts from March, 2011

जगन्नाथ आर्य विद्या मंदिर बादली का वार्षिकोत्सव

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  बादली में 31 मार्च को श्री जगन्नाथ आर्य विद्या मंदिर विद्यालय का 17वां वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह धूमधाम से मनाया गया। समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना व दीप प्रज्जवलित कर मुख्य अतिथि कांग्रेस नेता बिजेन्द्र माजरा ने किया व समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘मीडिया केयर ग्रुप’ के प्रधान सम्पादक योगेश कुमार गोयल ने की। समारोह के उद्घाटन के पश्चात विद्यालय में बच्चों ने योग आसन, भाषण प्रतियोगिता, कविता एवं गीत प्रतियोगिता में हिस्सा लिया व सामाजिक बुराईयों पर आधारित अनेक नाटक प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। सभी कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को व अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि बिजेन्द्र माजरा व श्री योगेश कुमार गोयल ने संयुक्त रूप से पुरस्कृत किया।

कभी देखा है ऐसा योगा!

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इन्हें भी आजमाकर देखें

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इंसानों का खून पीने वाली बिल्ली

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याद्दाश्त भी बढ़ाती है हल्दी

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जरा पहचानिए ... कौनसा है ये प्राणी? का सही जवाब

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जी हां, इस फोटो में दिखाई दे रहा प्राणी तो एक नन्हीं गिलहरी ही है लेकिन क्या आपको यह गिलहरी थोड़ी अजीब नहीं लग रही?   यह चित्र है दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क का, जहां इस चित्र को एक फोटोग्राफर मोर्कल इरासमस ने अपने कैमरे में कैद किया. इस फोटो में यह गिलहरी अपने बच्चे को मुंह में सुरक्षित ढ़ंग से दबाये हुए अपने नए घर में जा रही है.

क्या आप जानते हैं?

लड़कियों से अधिक संवेदनशील होते हैं लड़के एक अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि लड़कियों के मुकाबले लड़के अधिक संवेदनशील होते हैं। अध्ययनकर्ता मनोवैज्ञानिक सेबेस्टिन क्रैमर का कहना है कि पुरूषों पर समाज द्वारा दबाव डाला जाता है कि वे कठोर बनें और भावुकता से दूर रहें। पैदा होने के बाद भी लड़के लड़कियों के मुकाबले अधिक कमजोर होते हैं और बचपन तथा किशोरावस्था में भी लड़कों को लड़कियों से अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्रैमर कहते हैं कि लड़कों को शुरू से ही कठोर समझा जाता है और उनके मनोवैज्ञानिक विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। समाज लड़कों को कोमल हृदय एवं संवेदनशील नहीं बनने देता। यदि कोई लड़का शांत स्वभाव का है अथवा भावुक होकर रोने लगता है तो लोग उसका मजाक उड़ाने लगते हैं। क्रैमर के अनुसार संभवतः यही कारण है कि लड़कियां परीक्षाओं में लड़कों के मुकाबले अच्छे नंबर लाती हैं क्योंकि लड़कियों पर अक्सर कोई दबाव नहीं डाला जाता। किशोरावस्था में लड़कों द्वारा आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी लड़कियों के मुकाबले अधिक होती है क्योंकि वे भावनाओं और दबावों के बीच फंस जाते हैं। (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स

होली के रंग, राशियों के संग

होली पर विशेष -- एम. कृष्णाराव राज (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स) रंग सबसे बड़े मूड्स लिफ्टर होते हैं। ऐसे में अगर होली राशियों के अनुकूल रंगों से खेली जाए तो यह सोने पे सुहागा वाली बात होगी। होली के पावन अवसर पर ‘मीडिया केयर ग्रुप’ की इस विशेष प्रस्तुति में आइए जानें होली वाले दिन किस राशि के जातक को किस रंग से रंगें:- मेष इस राशि के जातकों के लिए गुलाबी, भूरा और मैरून रंग होली खेलने के लिए सबसे उत्तम हैं। गुलाबी रंग हमारी भावनाओं को सक्रिय करता है। इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है, साथ ही यह रंग आजादी, खुशी, रचनात्मकता और भरपूर ऊर्जा का भी प्रतीक है। इसलिए गुलाबी रंग अधिकांश लोगों को पसंद आता है। रंग-मनोविज्ञान की समझ रखने वालों के मुताबिक दोस्तों, प्रेमी-प्रेमिकाओं के साथ होली खेलते समय इस रंग को तरजीह देनी चाहिए, भले ही वे मेष राशि के न हों। वृष इस राशि के लिए शुभ रंग है भूरा, पीला, क्रीम और काला। हालांकि काले रंग को हिन्दू संस्कृति में शुभ नहीं माना जाता लेकिन बिना काले रंग के रंगों की महफिल ही नहीं सजती। काला रंग अधिकार, ऊर्जा, औपचारिकता और समर्पण की भावना को भी दर्शाता है। यही

होली भर दे आपके जीवन में खुशियों के रंग

‘मीडिया केयर ग्रुप’ के सभी शुभचिंतकों को होली के रंगारंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. होली का यह पर्व आप सभी के जीवन में खुशियों के रंग भर दे, यही कामना है.

जरा पहचानिए ... कौनसा है ये प्राणी?

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जी हां, अपने दिमाग पर थोड़ा जोर लगाइए और इस चित्र में दिखाई दे रहे प्राणी को पहचानने की कोशिश कीजिए. कहां का है ये दृश्य? यदि आप यह भी बता सकें तो और भी अच्छा. आपके पास दो दिन का समय है. इसका सही जवाब हम आपको 21 मार्च को बताएंगे. तो कोशिश कीजिए और दीजिए अपना जवाब. प्राप्त होने वाले सभी जवाबों को टिप्पणी के रूप में प्रकाशित किया जाएगा.

आई रे, आई रे, होली आई रे

. जौली अंकल (मीडिया केयर नेटवर्क) होली गिले-शिकवे मिटाने का त्यौहार है, होली मिलने-मिलाने का त्यौहार है, जो खुद को होली के रंगो में नही रंगता, उसका तो जीवन ही बेकार है। नत्थूराम जी ने अपनी पत्नी को प्यार से समझाते हुए कहा कि गली-मुहल्ले के सभी बच्चे होली खेल रहे है तो अपने चिन्टू को भी होली खेलने दो। उनकी पत्नी ने न आव देखा न ताव और चिल्लाते हुए बोली, ‘‘आप तो चुप ही रहो तो अच्छा है। तुम क्या जानो कि मुझे इसके होली खेलने से कितनी दिक्कत होती है?’’ नत्थूराम जी ने हैरान होते हुए पूछा, ‘‘ंिचन्टू के होली खेलने से भला तुम्हें क्या परेशानी हो सकती है?’’ ‘‘आप कुछ नहीं जानते, पिछले साल जब यह होली खेलकर आया था तो मुझे कम से कम 10 बच्चों को नहलाकर यह अपना चिन्टू मिला था।’’ एक तरफ जहां होली का त्यौहार हम सभी के लिए ढ़ेरों खुशियां लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी गलतियों के कारण इस पवित्र त्यौहार में रंग में भंग डाल देते हैं। होली का त्यौहार आज न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी बड़ी खुशी, प्रेम, प्यार व सद्भावनापूर्ण तरीके से मनाया जाता है। यह त्यौहार हमेशा आपसी भाईचारा,

कहीं बरसें अंगार तो कहीं रंगों की बौछार

होली पर विशेष . डा. अनिल शर्मा ‘अनिल’ (मीडिया केयर नेटवर्क) फाल्गुन की मदमाती मस्त बयार और होली का रंगीला त्यौहार। वास्तव में इनके संगम में ऐसा उल्लास होता है, जिसकी मस्ती हर प्राणी के सिर चढ़कर बोलती है। भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग होली को मनाने की रोचक परम्पराएं भारत के हर प्रांत एवं क्षेत्र में अलग-अलग हैं। राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की कोड़ामार होली, बादशाही होली, ब्रज क्षेत्र की लट्ठमार होली, बंगाल की डोल पूर्णिमा, धामपुर का होली हवन जुलूस और जयपुर की हाथियों पर बैठकर खेली जाने वाली होली की तो जगत प्रसिद्ध परम्पराएं हैं। होली के रंगीले अवसर पर मीडिया केयर नेटवर्क की खास पेशकश में ऐसी ही कुछ रोचक परम्पराओं की ऐसी झलक प्रस्तुत हैं, जिनसे होली की मस्ती-उमंग कई गुना बढ़ जाती हैं। ’ ब्रज क्षेत्र (उत्तर प्रदेश) की होली राधा-कृष्ण की होली मानी जाती है। नंदगांव बरसाने की लट्ठमार होली तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुकी है। ’ इसी क्षेत्र के फालैन गांव की होली में पण्डा जलता होली के बीच से गुजरता है। इस दृश्य को देखने के लिए वहां भारी भीड़ जमा होती है। ’ राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र

हैल्थ इज वैल्थ

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विश्व का सबसे बदबूदार पौधा

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जी हां, ये है विश्व का सबसे बदबूदार पौधा, जो सड़े हुए मांस जैसी अत्यंत तीखी दुर्गन्ध छोड़ता है। इस पौधे के संबंध में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह पौधा मात्र तीन दिन ही जीवित रहता है। ‘एमोरफोफालस टाइटानम’ नामक इस पौधे की गिनती विश्व के सबसे बड़े पौधों में भी होती है। यह दृश्य है बेल्जियम के नेशनल बौटेनिक गार्डन का, जहां पर्यटक बड़े कौतूहल से इस पौधे को निहार रहे हैं।

हाथियों की विशाल दावत

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इंसानों की दावत तो आप अक्सर देखते ही रहते होंगे लेकिन क्या आपने कभी जानवरों की दावत भी देखी है और वो भी विश्व के सबसे बड़े प्राणी हाथियों की? तो लीजिए प्रस्तुत की हाथियों की विशाल दावत की एक झलक। यह दृश्य है उत्तरी थाईलैंड के चियांग माई में ‘माए सा एलिफैंट कैम्प’ में ‘थाईलैंड एलिफैंट्स डे’ समारोह का। समारोह के दौरान विशेष रूप से हाथियों के लिए ही परोसे गए फलों की दावत खाता हाथियों का समूह।

केंचुए ढूंढ़ती वुडकॉक

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लीजिए प्रस्तुत है ‘कौन है ये हसीना’ का सही जवाब

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हमने कल आपसे पूछा था कि यह फोटो किस हसीना का है? जी हां, यह हसीना है बॉलीवुड की सिजलिंग ब्यूटी प्रियंका चोपड़ा की चचेरी बहन परिणीति चोपड़ा , जो यशराज फिल्मस की आने वाली फिल्म से बतौर हीरोइन अपने ग्लैमरस कैरियर का आगाज कर रही हैं। वैसे तो यशराज फिल्मस के साथ परिणीता का पुराना रिश्ता है, वह पहले से ही बतौर मार्किटिंग एक्जिक्यूटिव यशराज फिल्मस के साथ जुड़ी हुई थी और अब यशराज की मनीष शर्मा के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘लेडीज वर्सेज रिकी बहल’ में महत्वपूर्ण किरदार निभा रही हैं। इस फिल्म में रणवीर सिंह तथा अनुष्का शर्मा लीड रोल कर रहे हैं।

पहचानिए ... कौन है ये हसीना?

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जरा दिमाग के घोड़े दौड़ाइए और बताइए कि कौन है ये हसीना? चलिए आपको इतना हिंट तो दे ही देते हैं कि इस हसीना के दर्शन आपको बहुत जल्द बॉलीवुड की एक फिल्म में होंगे. तो जरा सोचिये और बताइए. हम इसका सही जवाब आपको कल देंगे।

क्षितिज के पार झांकती लड़की

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष -- घनश्याम बादल (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स) अब उसे आप ‘देवी’ कहें या वेदी पर चढ़ा दें, उसे भाई की दोयम ‘बाई’ (‘बहन’ का राजस्थानी पर्याय) बनाकर उसकी प्रतिभा का गला घोंट दें या गमले में सजे बोनसाई के पौधे की तरह सजावट की वस्तु बनाकर धूप, गर्मी, पानी में मरने-खपने के लिए भाग्य के भरोसे छोड़ बेफिक्र होकर बैठ जाएं, उसे छुई-मुई बनाकर घर में छुपाकर रखें या फिर जो कुछ जी में आए, करें। हर बार अपनी मर्दानगी, पौरूष या नर होने के गर्व की तुष्टि-पुष्टि ही ज्यादा सामने आती रही है। और यह सब कोई आज, कल या परसों की नहीं बल्कि बरसों की मनोवृत्ति का यथार्थ है तथा इसकी भुक्तभोगी रही है लड़की। आदम की हव्वा रही हो या महाभारत की द्रौपदी, मुगलकाल की अनारकली या राजपूत काल की पद्मिनी, उसे बचपन से ही ऐसे पाला-पोसा, सिखाया-पढ़ाया गया कि बड़ी होकर भी दासता या आत्मबलिदान, बलि की पात्र, त्याग की मूर्ति जैसे मूल्य बस उसी के हिस्से आए। बचपन में भाई, युवावस्था में पति के नाम पर पुरूष प्रधानता को उस पर न केवल लादा गया अपितु दबने पर उसे ‘आदर्श’ और विरोध करने पर ‘पतिता’ ‘पथभ्रष

सेक्सी टीचर राखी सावंत

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एक ही फिल्म में मल्लिका के दो-दो आइटम

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बाल कहानी: अनजाना मददगार

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अजय का झटका

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शमिता को नहीं मिला पहला प्यार

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‘मीडिया केयर नेटवर्क’ द्वारा ‘पंजाब केसरी’ (पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल) में 04.03.2011 को प्रकाशित