पानी पर चलने वाला रोबोट


कुछ साल पूर्व तक किसी ऐसी मशीन की कल्पना करना भी मुश्किल था, जो पानी पर चल सके लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में सब कुछ संभव है। वैज्ञानिकों ने कुछ समय पूर्व पानी पर चलने वाला एक रोबोट बनाकर हर किसी को हैरत में डाल दिया।

प्रकृति से प्रेरणा लेकर मैसाच्युएट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी के शोध से मदद लेकर कार्नेगी मेलान इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर मेटिन सिट्टी और उनकी टीम ने एक ऐसा छोटा सा रोबोट बनाने में सफलता हासिल की, जो तालाब के शांत पानी पर चहलकदमी करने वाले कीट वाटर स्किमर्स, पांड स्केटर्स या जीसस बग्स की तरह ही आराम से पानी पर चल-फिर सकता है।

प्रो. सिट्टी, उनकी टीम तथा अन्य शोधकर्ताओं को विश्वास है कि इस टैक्नोलॉजी से विकसित किए जाने वाले अन्य रोबोट भी पानी पर अपने लंबे पैरों की मदद से चल सकेंगे। प्रो. सिट्टी की टीम द्वारा विकसित पानी पर चलने वाला रोबोट एक केमिकल सेंसर से युक्त है।

प्रो. सिट्टी बताते हैं कि इस रोबोट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसी भी शहर के पेयजल भंडारण में विचरण करके ये रोबोट किसी भी रासायनिक मिलावट का पता आसानी से लगा सकते है। इन पर कैमरा फिट कर दिया जाए तो इनसे दुरूह स्थानों के बारे में भी सटीक जानकारी एकत्रित की जा सकती है। इसके अलावा ये रोबोट जासूसी के लिए भी बेहद उपयुक्त हैं।

कार्नेगी मेनोन्स नैनो रोबोटिक्स लैब के संचालक प्रो. सिट्टी बताते हैं, ‘‘मैं बचपन से ही तालाब और नदियों में पानी की ऊपरी सतह पर विचरण करने वाले जीसस बग्स जैसे कीटों को हैरानी से देखा करता था और सोचता था कि ये कीट डूबते क्यों नहीं? जब मैं रोबोटिक्स में आया तो मैंने फैसला किया कि मैं ऐसी मशीन बनाऊंगा, जो इन कीटों की तरह ही अपने लंबे-लंबे पैरों से पानी की ऊपरी सतह पर बिना डूबे चल-फिर सके। रोबोटिक्स के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। आप कभी जीसस बग्स को देखें, वह पानी पर कैसे चल पाता है। इसका राज उसके हल्के शरीर और लंबी-लंबी टांगों में छिपा है। अपने आधे इंच के शरीर के साथ जीसस बग्स पानी पर एक सैकेंड में एक मीटर की गति से चलता है।’’

प्रो. सिट्टी के रोबोट का आकार एक इंच से कुछ अधिक है। कार्बन फाइबर्स की मदद से इसका डिब्बीनुमा शरीर बनाया गया और वाटर रिपेलिंग प्लास्टिक कोटिंग वाले दो-दो इंच लंबे स्टील के तारों से इसकी टांगें बनाई गई।
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल

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