योगेश कुमार गोयल देशभर में माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी धूमधाम से वसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। साहित्य और संगीत प्रेमियों के लिए तो इसका विशेष महत्व है, क्योंकि यह ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा का पवित्र पर्व माना गया है। बच्चों को इसी दिन से बोलना या लिखना सिखाना शुभ माना गया है। संगीतकार इस दिन अपने वाद्य यंत्रों की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती अपने हाथों में वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुईं थी। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इस दिन लोग विद्या, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करके अपने जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने की कामना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वसंत पंचमी के दिन ही प्रथम बार देवी सरस्वती की आराधना की थी और कहा था कि इस दिन को मां सरस्वती के आराधना पर्व के रूप में मनाया जाएगा। प्राचीन काल में वसंत पंचमी को प्रेम के प्रतीक पर्व के रूप में बसंतोत्सव, मदनोत्सव, कामोत्सव अथवा कामदेव पर्व के रूप में मनाए जाने का भी उल्लेख मिलता है। इस संबंध में मान्यता है कि इस