दो बाल कविताएं


दादा दादी

कितने प्यारे दादा दादी,

कपड़े पहनें उजले खादी।

स्नेह नेह हर पल बरसाते,

मना मनाकर खूब खिलाते।

हमें सुनाते रोज कहानी,

एक था राजा, एक थी रानी।

सदा सिखाते अच्छी बातें,

मछली मांस कभी ना खाते।

हरदम जपते तुलसी माला,

नहीं करते कभी धंधा काला।

घर पर चलता उनका शासन,

कभी न देते कोरा भाषण। (एम सी एन) . रंजन कुमार शर्मा ‘रंजन’

कालूराम

मोटा तगड़ा कालूराम,

सबका प्यारा भालूराम।

ना करता यह छीना झपटी,

सादा, सरल, नहीं यह कपटी।

रूखा-सूखा इसका भोजन,

करता है सबका मनोरंजन।

शहर का है यह शौकीन,

इसे न भाए कुछ नमकीन।

नहीं किसी को कभी सताए,

नाच दिखाकर हमें हंसाए। (एम सी एन) . रंजन कुमार शर्मा ‘रंजन’

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