पुस्तक समीक्षा
अनूठा संग्रह है ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’
पुस्तक: जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया
लेखक: योगेश कुमार गोयल
पृष्ठ संख्या: 96
मूल्य: 100 रुपये
संस्करण: 2009
प्रकाशक: मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स, बादली, जिला झज्जर (हरियाणा)-124105.
कौनसे मेंढ़क से शराब निकलती है? कौनसे मुर्गे की पूंछ बीस फुट होती है? कौनसा बंदर हर पल रंग बदलता है? कौनसी चील आग में कूदकर शिकार पर झपटती है? दुनिया की सबसे कीमती मछली कौनसी है? कौनसा सांप घोंसला बनाता है? कौनसा जीव स्तनधारी होने पर भी अण्डे देता है? कौनसा पक्षी तूफान के दौरान भी उड़ सकता है? अपने बिल तक कैसे पहुंच जाती हैं चींटियां? मानव उपस्थिति का पता कैसे लगा पाते हैं मच्छर? कौनसे पक्षी रखते हैं संगीत की परख? कैसे बदलता है गिरगिट का रंग? कौनसी मछली हवा में उड़ती है? छह टांगें होने पर भी कौनसा जीव उड़ नहीं सकता? कौनसा चमगादड़ पशुओं का खून पीता है? दुनिया का सबसे बड़ा अजगर कौनसा है? दुनिया का सबसे विचित्र बाज कौनसा है? कौनसी बिल्ली ताड़ी पीती है? सबसे जहरीला बिच्छू कौनसा है? ... जैसे एक सौ चौंतीस जीव-जंतुओं पर आधारित पुस्तक ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ अपने नाम को चरितार्थ करती है, जिसमें लेखक श्री योगेश कुमार गोयल ने जीव-जंतुओं की अनूठी प्रजातियों के बारे में सचित्र रोचक जानकारी प्रस्तुत की है।
‘हरियाणा साहित्य अकादमी’ की पुस्तक प्रकाशनार्थ सहायतानुदान योजना के अंतर्गत ‘बाल साहित्य’ श्रेणी में गत वर्ष अनुदानित उक्त कृति केे लेखक श्री गोयल राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में गत दो दशकों से प्रमुखता से प्रकाशित होने वाले लेखक हैं। विभिन्न समाचार एवं फीचर एजेंसियों के सम्पादक के तौर पर श्री गोयल बहुआयामी लेखन से जुड़े हैं। ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ उनका एक रोचक संग्रह है, जिसमें दुर्लभ प्रजातियों के उन जीव-जंतुओं को शामिल किया गया है, जिनके क्रियाकलाप लीक से हटकर हैं। एक ओर संग्रह में ऐसी प्रजातियां भी हैं, जो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर उन अनूठे जीव-जंतुओं को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।
पुस्तक में अधिकांश जीव-जंतु ऐसे हैं, जिन्हें देखना तो दूर, उनके बारे में सुना भी नहीं है, जिसके चलते हर पाठक वर्ग में ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ के प्रति जिज्ञासा एवं कौतूहल पैदा होता है। संग्रह जीव-जंतुओं की विचित्र गतिविधियों की ज्ञानवर्द्धक जानकारी के अलावा इनकी विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण का आव्हान भी करता है। यदि पुस्तक के अंदर के पृष्ठों पर भी आवरण की भांति श्वेत-श्याम के बजाय रंगीन छायाचित्र होते तो ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ की वस्तुस्थिति और अधिक प्रभावी ढ़ंग से मुखरित हो पाती। लेखक का यह संग्रह अनूठे जीव-जंतुओं के बारे में संबंधित जानकारी देने में सफल रहा है तथा बच्चों के अलावा भी हर वर्ग को ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ पसंद आएगी, ऐसी आशा है।
पुस्तक: जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया
लेखक: योगेश कुमार गोयल
पृष्ठ संख्या: 96
मूल्य: 100 रुपये
संस्करण: 2009
प्रकाशक: मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स, बादली, जिला झज्जर (हरियाणा)-124105.
कौनसे मेंढ़क से शराब निकलती है? कौनसे मुर्गे की पूंछ बीस फुट होती है? कौनसा बंदर हर पल रंग बदलता है? कौनसी चील आग में कूदकर शिकार पर झपटती है? दुनिया की सबसे कीमती मछली कौनसी है? कौनसा सांप घोंसला बनाता है? कौनसा जीव स्तनधारी होने पर भी अण्डे देता है? कौनसा पक्षी तूफान के दौरान भी उड़ सकता है? अपने बिल तक कैसे पहुंच जाती हैं चींटियां? मानव उपस्थिति का पता कैसे लगा पाते हैं मच्छर? कौनसे पक्षी रखते हैं संगीत की परख? कैसे बदलता है गिरगिट का रंग? कौनसी मछली हवा में उड़ती है? छह टांगें होने पर भी कौनसा जीव उड़ नहीं सकता? कौनसा चमगादड़ पशुओं का खून पीता है? दुनिया का सबसे बड़ा अजगर कौनसा है? दुनिया का सबसे विचित्र बाज कौनसा है? कौनसी बिल्ली ताड़ी पीती है? सबसे जहरीला बिच्छू कौनसा है? ... जैसे एक सौ चौंतीस जीव-जंतुओं पर आधारित पुस्तक ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ अपने नाम को चरितार्थ करती है, जिसमें लेखक श्री योगेश कुमार गोयल ने जीव-जंतुओं की अनूठी प्रजातियों के बारे में सचित्र रोचक जानकारी प्रस्तुत की है।
‘हरियाणा साहित्य अकादमी’ की पुस्तक प्रकाशनार्थ सहायतानुदान योजना के अंतर्गत ‘बाल साहित्य’ श्रेणी में गत वर्ष अनुदानित उक्त कृति केे लेखक श्री गोयल राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में गत दो दशकों से प्रमुखता से प्रकाशित होने वाले लेखक हैं। विभिन्न समाचार एवं फीचर एजेंसियों के सम्पादक के तौर पर श्री गोयल बहुआयामी लेखन से जुड़े हैं। ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ उनका एक रोचक संग्रह है, जिसमें दुर्लभ प्रजातियों के उन जीव-जंतुओं को शामिल किया गया है, जिनके क्रियाकलाप लीक से हटकर हैं। एक ओर संग्रह में ऐसी प्रजातियां भी हैं, जो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर उन अनूठे जीव-जंतुओं को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।
पुस्तक में अधिकांश जीव-जंतु ऐसे हैं, जिन्हें देखना तो दूर, उनके बारे में सुना भी नहीं है, जिसके चलते हर पाठक वर्ग में ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ के प्रति जिज्ञासा एवं कौतूहल पैदा होता है। संग्रह जीव-जंतुओं की विचित्र गतिविधियों की ज्ञानवर्द्धक जानकारी के अलावा इनकी विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण का आव्हान भी करता है। यदि पुस्तक के अंदर के पृष्ठों पर भी आवरण की भांति श्वेत-श्याम के बजाय रंगीन छायाचित्र होते तो ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ की वस्तुस्थिति और अधिक प्रभावी ढ़ंग से मुखरित हो पाती। लेखक का यह संग्रह अनूठे जीव-जंतुओं के बारे में संबंधित जानकारी देने में सफल रहा है तथा बच्चों के अलावा भी हर वर्ग को ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ पसंद आएगी, ऐसी आशा है।
समीक्षक: सत्यवीर ‘नाहड़िया’
257, सेक्टर-1, रेवाड़ी (हरियाणा)
मोबाइल: 9416711141
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