जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल
ताजे पानी में रेंगने वाला जानवर है ‘घड़ियाल’
घड़ियाल ताजे पानी में रेंगने वाला एक ऐसा समुद्री जानवर है, जो रेंगने वाले सर्वाधिक प्राचीनतम जानवरों में से एक है। माना जाता है कि घड़ियाल की प्रजाति करीब 70 लाख वर्ष पुरानी है। ये भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं। इनकी संख्या निरन्तर घटती जा रही है, जिससे इस प्रजाति के लुप्त होने का खतरा बरकरार है। घड़ियाल का सिर भोजन तलने वाले बर्तन जैसा और इसका थुथुन बेडौल होता है। हालांकि घड़ियाल प्रकृति के अन्य जीवों के लिए खतरनाक होते हैं लेकिन वर्तमान में तो ये खुद अपने अस्तित्व के संकट से ही जूझ रहे हैं। (मीडिया केयर नेटवर्क)
पेड़ों पर सिर के बल लटककर जीवन गुजारते हैं ‘स्लोथ’
दक्षिण अमेरिका में ‘स्लोथ’ नामक स्तनपायी जीवों का एक ऐसा वंश पाया जाता है, जिसके सदस्य अपना अधिकांश जीवन पेड़ों पर सिर के बल लटककर ही गुजारते हैं। स्लोथ की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं, ‘उनाऊ’ तथा ‘आई’। ये जीव अपने पंजों और उंगलियों के मुड़े हुए नाखूनों की मदद से उल्टा चलने में समर्थ होते हैं। स्लोथ पेड़ की चोटी से नीचे की ओर धीमी गति से चलते हैं और सोते समय इनकी मांसपेशियां तनकर स्थिर हो जाती हैं, जो तब तक ढ़ीली नहीं होती, जब तक कि वे स्वयं ऐसा न करना चाहें। इन जीवों की पूंछ नहीं होती। (मीडिया केयर नेटवर्क)
विषैली समुद्री परी
‘समुद्री परी’ समुद्र में रहने वाला एक ऐसा प्राणी है, जिसके साफ-सुथरे खोखले कवक अक्सर समुद्री किनारों पर देखे जा सकते हैं। जीवित अवस्था में इस प्राणी का कवकयुक्त शरीर चिमटे के आकार के अंगों से ढ़का रहता है, जिसकी सहायता से यह किसी भी वस्तु को बड़ी आसानी से पकड़ सकता है। समुद्री परी नामक इस समुद्री प्राणी के शरीर पर नुकीली रीढ़ की हड्डियों के पुंज होते हैं। ये रीढ़ की हड्डियां इसके चलने, खाद्य पदार्थ ग्रहण करने, स्वयं की रक्षा करने और खुदाई करने में इसकी सहायता करती हैं। इनमें से कुछ रीढ़ की हड्डियां विषैली भी होती हैं, जो किसी भी जीव के सम्पर्क में आने पर उसकी त्वचा में घुसकर अंदर ही टूट जाती हैं, जिससे बहुत भयंकर पीड़ा होती है और त्वचा पर अत्यधिक जलन का अहसास होता है। (मीडिया केयर नेटवर्क)
धीमी गति से उड़ने वाला शिकारी पक्षी ‘मार्श हैरियर’
‘मार्श हैरियर’ नामक पक्षी धीमी गति से उड़ने वाला एक ऐसा शिकारी पक्षी है, जो कुछ देर तक अपने पंख फड़फड़ाने के बाद अपने पंखों को खड़ा करके धीमी गति से उड़ान भरने लगता है। ‘मार्श हैरियर’ भ्रमणशील पक्षी हैं, जो प्रायः फरवरी-मार्च के दौरान यूरोप चले जाते हैं और शीत ऋतु में वापस एशिया और अफ्रीका लौट आते हैं। इनके चेहरे का विशिष्ट रूप इनके बड़े-बड़े कानों को ढ़के रहता है, जो शिकार पकड़ने में इनके लिए काफी सहायक सिद्ध होते हैं।
जिस समय मार्श हैरियर शानदार लय में उड़ान भरते हैं, उस समय नर अपनी रंगदार छाया प्रदर्शित करते हैं जबकि मादा उनसे मिलने के लिए मुड़ती है। ये पक्षी सरीसृप, मेंढ़क तथा छोटे स्तनधारी जीवों को अपना भोजन बनाते हैं। अधिकतर नर पक्षी द्वारा ही शिकार किया जाता है और उड़ान भरते समय मादा हैरियर को नर द्वारा ही भोजन का हस्तांतरण किया जाता है। जिस समय नर पक्षी मादा को भोजन का हस्तांतरण करता है, उस समय का दृश्य बड़ा मनोरम होता है। मादा हैरियर का प्रसव काल अक्सर मार्च-अप्रैल के बीच ही होता है। मादा हैरियर द्वारा उष्मायन क्रिया भी तभी की जाती है, जब नर हैरियर उसे नियमित भोजन उपलब्ध कराता रहे। (मीडिया केयर नेटवर्क)
चीते जैसी फुर्ती वाला जीव ‘बे लिंक्स’
दक्षिणी अमेरिका के वन्य इलाकों में पाया जाने वाला ‘बे लिंक्स’ गुफाओं, खोहों और पेड़ों को ही अपना आवास बनाता है। यह जीव स्वभाव से शेर के समान ही खूंखार होता है। हालांकि यह औसतन मात्र 75 सेंटीमीटर तक ही लंबा जीव है, जो शेर के आकार की तुलना में बहुत ही कम है। बे लिंक्स वृक्षों पर चढ़ने में माहिर होते हैं और अपने शिकार पर चीते की भांति बड़ी फुर्ती से झपटते हैं। बे लिंक्स के चेहरे पर गहरी धारियां होती हैं तथा इसके कान एक खास अंदाज में खड़े होते हैं। इसके बाल पीले धूसर रंग के होते हैं और इसकी पूंछ छोटी होती है। अपनी ग्रहणशीलता और आहार की विविधता के कारण इसने जंगल कम होने और कृषि भूमि का विस्तार होने के बावजूद भूमि पर अपना अस्तित्व बरकरार रखा है। ‘स्लोथ’ नामक यह जीव तीतर, चकोर, छोटे स्तनधारियों तथा अन्य छोटे जीवों को अपना शिकार बनाता है। यह अकेला अथवा अपनी मादा एवं बच्चों के साथ रहता है। मादा बे लिंक्स गर्भ धारण करने के बाद प्रायः 40 दिनों की अवधि के पश्चात् एक बार में दो या तीन बच्चों को जन्म देती है। (मीडिया केयर नेटवर्क)
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