मानें या न मानें यह सच है
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल
अंधी होकर चुकाई शोध की कीमत
मैडम मैरी क्यूरी और सर पायरे क्यूरी ने 20वीं सदी के आरंभ में रेडियोधर्मी तत्वों की खोज आरंभ की थी और अंततः विज्ञान की दुनिया में नया कारनामा करने के लिए मैडम क्यूरी ने अपनी जान दांव पर लगा दी। यूरेनियम और पिचवलेंड के पृथकीकरण के लिए अवशेष बनाने हेतु उन्होंने विभिन्न रसायनों का प्रयोग किया। इस दम्पत्ति ने पोलोनियम और रेडियम नामक दो तत्वों को अलग किया परन्तु चूंकि रेडियोधर्मी तत्व काफी हानिकारक होते हैं, अतः लंबे समय तक इस प्रकार के तत्वों के समीप रहने के कारण मैडम क्यूरी अंधी हो गई और कई रोगों से ग्रस्त भी हो गई। 1920 में श्वेत रक्तता (ल्यूकेमिया) के कारण उसकी मृत्यु हो गई। रेडियोधर्मिता के कारण ही उसे यह रोग हुआ था।
रस्सी पर चलकर पार किया न्यागरा जल प्रपात
30 जून 1859 को 35 साल की उम्र में एक फ्रांसीसी नट जां फ्रॉन्स्वा ग्रैवेल ने हजारों दर्शकों की उपस्थिति में न्यागरा जल प्रपात पर बंधी करीब 1100 मीटर लंबी रस्सी पर चलकर इस जल प्रपात को पार करके एक हैरतअंगेज करतब दिखाया था। रस्सी नदी के आर-पार 50 फुट की ऊंचाई पर बांधी गई थी और इसे पार करने में उसे कुल 20 मिनट लगे थे। जां फ्रॉन्स्वा को ‘ब्लौंदे’ भी कहा जाता था। वह एक पेशेवर नट का बेटा था और मात्र 5 साल की उम्र से ही उसने अपने पिता से तरह-तरह के करतब सीखने शुरू कर दिए थे। न्यागरा के आरपार बंधी रस्सी पर चलने का तो वह इस कदर अभ्यस्त हो गया था, जैसे वह रस्सी पर शाम की हवाखोरी कर रहा हो। रस्सी पर चलते हुए ही वह तमाम तरह के स्टंट भी करता, जैसे आंखों पर पट्टी बांधकर या अपने दोनों पांव बोरी में डालकर अथवा गेडी (स्टिल्ट) पर चढ़कर चलना, हाथगाड़ी चलाना इत्यादि। यही नहीं, रस्सी पर खड़े-खड़े ही वह आमलेट भी पका लेता था। एक बार तो जां फ्रॉन्स्वा ने अपने प्रदर्शन व्यवस्थापक हैरी कॉल्ककॉर्ड को ही अपनी पीठ पर लादकर रस्सी पार की थी। इस हैरतअंगेज प्रदर्शन के बाद कॉल्डकॉर्क का कहना था कि प्रदर्शन के दौरान पूरे समय उसका दिल बुरी तरह से धक-धक करता रहा था क्योंकि जां फ्रॉन्स्वा इस दौरान कुल 6 बार अपना संतुलन खो बैठा था लेकिन हर बार वह संभल गया। 72 वर्ष की उम्र में जां फ्रॉन्स्वा की मृत्यु हुई थी मगर कोई खतरनाक स्टंट दिखाते हुए नहीं बल्कि चारपाई पर लेटे-लेटे।
गुस्सा शांत करना है तो हथौड़े से पीट-पीटकर कारें चपटी करें
अगर आप बेहद गुस्से में हैं और अपना गुस्सा शांत करना चाहते हैं तो एक हथौड़ा उठाइए और पीट-पीटकर कारों को चपटी कर दीजिए। जी नहीं, हम आपके साथ कोई मजाक नहीं कर रहे बल्कि आप वाकई कारों पर अपना गुस्सा निकालकर अपना क्रोध शांत कर सकते हैं। हां, अगर कार आपकी न हुई तो आपको किसी दूसरे की कार का हुलिया बिगाड़ने पर कोर्ट के चक्कर तो लगाने ही पड़ सकते हैं और कार अगर आपकी ही हुई तो आपको इससे काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन अगर आपको इन दोनों ही स्थितियों से छुटकारा मिल जाए तो! यानी कार न तो आपकी हो और न ही किसी दूसरे की कार पर अपना गुस्सा निकालने पर आपको कोर्ट के धक्के खाने पड़े तो कहना ही क्या!
जर्मनी में बर्लिन के ‘ऑटोप्रेस टेम्पलहॉफ’ में आप वाकई ऐसा कर सकते हैं, जिसके लिए आपको मात्र दो डॉलर खर्च करने होंगे। दरअसल यह बेकार कारों के पुर्जों को दोबारा इस्तेमाल करने वाला कारखाना है और यहां ऐसी व्यवस्था की गई है कि आप दो डॉलर चुकाकर एक घंटे में एक कार को चपटी कर अपना गुस्सा ठंडा कर सकते हैं।
अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने से बेहतर तो यही है ना कि दो डॉलर में ही अपना गुस्सा शांत कर लिया जाए। वैसे इस कारखाने के मालिकों का कहना है कि इन अनोखी योजना से उनके व्यवसाय का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ता जा रहा है।
कैसा है लंदन का विंडसर राजमहल?
विंडसर राजमहल लंदन के पश्चिम में करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिछली नौ शताब्दियों से यह इंग्लैंड के राजाओं का निवास स्थान है, जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में लकड़ी के किले के रूप में किया गया था और अगली शताब्दी में पत्थर से इसका पुनर्निमाण किया गया था। बाद में सन् 1820 तक इस महल में समय-समय पर बहुत कुछ जोड़ा जाता रहा और इसकी संरचना में काफी कुछ परिवर्तन भी किए गए लेकिन 1820 के बाद से इसमें कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया गया है। इस राजमहल के निर्माण का उद्देश्य मध्यकालीन शाही शानोशौकत का प्रभाव पैदा करना था। विंडसर राजमहल के चारों ओर एक सुरक्षात्मक दीवार है। वर्तमान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निजी निवास पूर्व की ओर है। राजमहल में अनेक प्रकार के खजाने, प्रसिद्ध चित्रकारियां, फर्नीचर, हीरे-जवाहरात और ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं हैं। प्रवेश द्वार के समीप एक गुड़ियाघर है, जिसमें दुनियाभर से एकत्रित की गई अनेक सुंदर गुड़िया रखी गई हैं। गुड़ियाघर के पास गेस्ट रूम तथा स्टेट अपार्टमेंट है। बहुत से राजाओं और रानियों को इस राजमहल में दफनाया जा चुका है और कब्रों पर सुंदर शाही मकबरे बनाए गए हैं। (मीडिया केयर नेटवर्क)
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