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इंटरनेट जहां अब हर घर की जरूरत बन गया है, वहीं इससे जुड़े खतरे भी निरन्तर बढ़ रहे हैं। पढ़ें इसी से संबंधित लेख

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पंजाब केसरी के सम्पादकीय पेज पर पढ़ें बसंत पंचमी पर मेरा यह लेख

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साहित्य और संगीत प्रेमियों के लिए बसंत पंचमी का है विशेष महत्व

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योगेश कुमार गोयल देशभर में माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी धूमधाम से वसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। साहित्य और संगीत प्रेमियों के लिए तो इसका विशेष महत्व है, क्योंकि यह ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा का पवित्र पर्व माना गया है। बच्चों को इसी दिन से बोलना या लिखना सिखाना शुभ माना गया है। संगीतकार इस दिन अपने वाद्य यंत्रों की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती अपने हाथों में वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुईं थी। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इस दिन लोग विद्या, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करके अपने जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने की कामना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वसंत पंचमी के दिन ही प्रथम बार देवी सरस्वती की आराधना की थी और कहा था कि इस दिन को मां सरस्वती के आराधना पर्व के रूप में मनाया जाएगा। प्राचीन काल में वसंत पंचमी को प्रेम के प्रतीक पर्व के रूप में बसंतोत्सव, मदनोत्सव, कामोत्सव अथवा कामदेव पर्व के रूप में मनाए जाने का भी उल्लेख मिलता है। इस संबंध में मान्यता है कि इस

स्पष्टवादिता और सत्यनिष्ठा की मिसाल थे गांधी जी

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कैसे बना भारत का संविधान? जानने के लिए पढ़ें यह विशेष लेख

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भारतीय संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

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- श्वेता गोयल - सर्वप्रथम सन् 1895 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने मांग की थी कि अंग्रेजों के अधीनस्थ भारतवर्ष का संविधान स्वयं भारतीयों द्वारा ही बनाया जाना चाहिए लेकिन तिलक के सहयोगियों द्वारा भारत के लिए स्वराज्य विधेयक के प्रारूप को, जिसमें पहली बार भारत के लिए स्वतंत्र संविधान सभा के गठन की मांग की गई थी, ब्रिटिश सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया था। - 1922 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मांग की कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। 1924 में पं. मोतीलाल नेहरू ने संविधान सभा के गठन की फिर मांग की लेकिन अंग्रेजों द्वारा उनकी मांग को भी ठुकरा दिया गया। तब से संविधान सभा के गठन की मांग लगातार उठती रही लेकिन अंग्रेजों द्वारा उसे हर बार ठुकराया जाता रहा। - 1939 में कांग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि स्वतंत्र देश के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और अंततः 1940 में ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को मान लिया कि भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाया जाए। - 1942 में क्रिप्स कमीशन ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि