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Showing posts from 2010

कॉफी कितनी फायदेमंद कितनी नुकसानदायक?

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‘मीडिया केयर नेटवर्क’ की विशेष प्रस्तुति

जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया

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‘मीडिया केयर नेटवर्क’ की विशेष प्रस्तुति

जान है जहान है

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ की विशेष प्रस्तुति

क्या होता है सी.टी. स्कैन?

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ की विशेष प्रस्तुति

विदेशों में नव वर्ष का धमाल

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उफ ...! ये अदा

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मुम्बई में एक कार्यक्रम के दौरान रैम्प पर कैटवॉक करती मॉडल्स

अनोखे जीव-जंतु

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‘मीडिया केयर नेटवर्क’ द्वारा पंजाब केसरी (जालंधर) में 25 व 26 दिसम्बर 2010 को प्रकाशित

उपयोगी होम टिप्स

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा पंजाब केसरी (जालंधर) में प्रकाशित

जलपरी हूं मैं

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शांति, प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देता ‘क्रिसमस’ पर्व

-- योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को विश्वभर में मनाया जाने पर्व ‘क्रिसमस’ ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार है और संभवतः सभी त्यौहारों में क्रिसमस ही एकमात्र ऐसा पर्व है, जो एक ही दिन दुनियाभर के हर कोने में पूरे उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दुओं में जो महत्व दीवाली का है, मुस्लिमों में जितना महत्व ईद का है, वही महत्व ईसाईयों में क्रिसमस का है। जिस प्रकार हिन्दुओं में दीवाली पर अपने घरों को सजाने की परम्परा है, उसी प्रकार ईसाई समुदाय के लोग क्रिसमस के अवसर पर अपने घरों को सजाते हैं। इस अवसर पर शंकु आकार के विशेष प्रकार के वृक्ष ‘क्रिसमस ट्री’ को सजाने की तो विशेष महत्ता होती है, जिसे रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि करीब दो हजार साल पहले 25 दिसम्बर को ईसा मसीह ने समस्त मानव जाति का कल्याण करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। उस समय पूरे रोम में मूर्तिपूजा व अन्य धार्मिक आडम्बर चारों ओर फैले थे, रोम शासक यहूदियों पर अत्याचार करते थे, धनाढ़य वर्ग विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करता था जबकि गरीबों की हालत अत्यंत दयनीय थी। मनुष

विश्व सिनेमा और ईसा मसीह

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प्रस्तुति: मीडिया केयर नेटवर्क ब्यूरो प्रेम, दया और करूणा के सागर प्रभु ईसा मसीह के धर्मावलम्बी विश्व के हर देश में हैं। भारत में भी उनके अनुयायी बहुत बड़ी तादाद में हैं लेकिन इसके बावजूद यह एक विड़म्बना ही है कि ईसा मसीह और उनके महान् धर्मग्रंथ बाइबिल पर किसी भी देश में ज्यादा फिल्में नहीं बनी हैं। यदि हम सम्पूर्ण विश्व के फिल्म इतिहास का अवलोकन करें तो सबसे कम संख्या हमें इन ईसा विषयक फिल्मों की ही नजर आएगी। भारत में तो इन फिल्मों की संख्या लगभग नगण्य है ही, विश्व के जिन अत्यधिक सम्पन्न देशों ने सिने कला को जन्म दिया, जहां इस कला ने लगातार तकनीकी प्रगति की, वहां भी ईसा और बाइबिल पर बनी फिल्मों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। इन फिल्मों में भी ईसा मसीह या बाइबिल पर पूरी तरह कम फिल्में ही बनी हैं, अधिकांश फिल्में बाइबिल की कथाओं और उपकथाओं के आधार पर ही बनी हैं। पूरी तरह ईसा और बाइबिल पर बनी पहली फिल्म संभवतः सन् 1897 में प्रदर्शित ‘पैशन डी जीसस क्राइस्ट’ थी। उसके बाद ‘लाइफ ऑफ क्राइस्ट’, ‘किंग ऑफ किंग्स’, ‘द ग्रेटेस्ट स्टोरी एवर टोल्ड’, ‘द बाइबिल’, ‘द बाइबिल इन द बिगिनिंग’ जैस

होटल मैनेजमेंट: सम्मानजनक कैरियर की गारंटी

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रंग बिरंगी दुनिया

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19 दिसम्बर को दैनिक सन्मार्ग में प्रकाशित पुस्तक समीक्षा

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बिपाशा बसु से विशेष बातचीत

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मुंहासे दूर करने के लिए खास टिप्स

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बचें वायरल फीवर से

- रंजीत कुमार ‘सौरभ’ - (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स) फ्लू, इंफ्लूएंजा, कॉमन कोल्ड या साधारण जुकाम का बुखार, एक प्रकार का वायरल बुखार होता है। यह बीमारी एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में सांस के जरिये पहुंचती है यानी जब रोगी खांसता है तो उसका विषाणु नजदीक मौजूद स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस के जरिये प्रवेश करता है और इस तरह वह स्वस्थ व्यक्ति भी एक-दो दिन में वायरल बुखार से ग्रसित हो जाता है। वायरल बुखार के लक्षण वायरल बुखार के लक्षण अन्य बुखार के जैसे ही होते हैं। जैसे मरीज को सिर में दर्द, बदन में दर्द के साथ अचानक बुखार आना, गले में खराश, नाक में खुजली और पानी गिरना आम लक्षण हैं। इस बुखार में बदन का तापमान 101 से 103 डिग्री फॉरेनहाइट या इससे भी अधिक हो जाता है और शरीर में बेचैनी अनुभव होती है तथा भूख नहीं लगती। डॉक्टरों का मानना है कि यह बुखार एक संक्रामक विषाणु से फैलता है। यह विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में भी आसानी से प्रवेश कर जाता है और इसके एक या दो दिन बाद ही व्यक्ति वायरल बुखार की चपेट में आ जाता है तथा उसमें इस बुखार के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। इसके अलावा स

कैसे सुधरे हॉकी की सूरत?

- नरेन्द्र देवांगन - सन् 1928 के ओलम्पिक गेम्स में भारत की हॉकी टीम पहली बार मैदान में उतरी थी और गोल्ड मैडल जीत लिया था। तब से 1956 के ओलम्पिक तक भारत की जीत का सिलसिला निर्बाध चलता रहा। भारत ने लगातार 6 गोल्ड मैडल जीते। सम्मोहक स्टिक वर्क, चतुर डॉज और ड्रिबल का लाजवाब हुनर ऐसा कि दर्शक वाह-वाह कर उठते थे। वर्ष 1956 के ओलम्पिक में इस हुनर का नाम ही ‘इंडियन ड्रिबल’ पड़ गया था। यह सुनहरा सिलसिला 1960 के रोम ओलम्पिक में खत्म हो गया, जब फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 1-0 से हरा दिया और लेस्ली क्लाडियस की टीम को सिल्वर मैडल से ही संतुष्ट होना पड़ा। भारत फिर उभरा और 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक हासिल कर लिया लेकिन भारतीय हॉकी को चुनौतियां मिलने लगी थी और उसका वर्चस्व समाप्ति के कगार पर था। फिर 1968 और 1972 में लगातार दो बार भारत को सिर्फ कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। मांट्रियल ओलम्पिक (1976) में तो भारत की बड़ी दुर्दशा हुई थी, जब टीम लुढ़ककर एकदम सातवें स्थान पर पहुंच गई थी। मास्को ओलम्पिक तो आधा अधूरा था क्योंकि आस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका सहित एशिया के कई देशों ने भी इसका बहिष

लघुकथा : अल्ट्रासाउंड

- विक्की नरूला - सुजाता फिर से गर्भवती हुई। परिवार में फिर आस जगी कि इस बार सुजाता बेटे को ही जन्म देगी। सुजाता के पति अमन ने भी इस बार चाहा कि सुजाता एक पुत्र को जन्म दे, इसलिए वह सुजाता को लेकर अल्ट्रासाउंड करवाने शहर चला गया। अमन बहुत चिन्ताजनक स्थिति में डॉक्टर साहब से मिला तथा डॉक्टर साहब से बोला, ‘‘डॉक्टर साहब, मेरी पत्नी का अल्ट्रासाउंड करके बताएं कि गर्भ में लड़का है या लड़की? यदि लड़की हुई तो मैं अबोर्शन करवा दूंगा।’’  डॉक्टर साहब ने अमन को समझाते हुए कहा, ‘‘अमन जी, लड़का या लड़की तो भगवान की देन हैं। भगवान ने मुझे भी दो लड़कियां दी हैं। मेरे पास भी लड़का नहीं है। मैंने दोनों लड़कियों को अच्छी शिक्षा दी, उन्हें खूब पढ़ाया-लिखाया। दोनों की शादी अच्छे घरों में की। आज जब भी उन्हें पता चलता है कि मेरी या उनकी मां की तबीयत खराब है तो फौरन दोनों दौड़ी चली आती हैं। वहीं दूसरी ओर मेरे भाई साहब के दो लड़के हैं। दोनों शहर में अपनी पत्नियों के साथ रहते हैं परन्तु उनका हालचाल जानने दोनों बेटों में से कोई नहीं आता। इसलिए मेरी मानो तो लड़कियां लड़कों से कहीं बेहतर हैं।’’  डॉक्टर साहब की बात अमन को अच

कहानी : मन्दिर

आज वह बहुत खुश था। एक सुंदर सुबह थी। वह नहा-धोकर मंदिर के लिए तैयार हो चुका था। उसके मुहल्ले में एक नया मन्दिर बन गया है और उसमें आज मूर्ति की स्थापना की जानी है। इसके बाद मंदिर में पूजा-पाठ का काम आरंभ हो जाएगा यानी अब तो मौज ही मौज है! जब भी भगवान से कुछ मांगना होगा तो चार कदम चले और मांग लिया वरना मामूली सी डिमांड के लिए भी उसे दूसरे मुहल्ले में स्थित मंदिर में जाना पड़ता था। दरअसल अपनी चीज का मजा ही कुछ और है! जब जी चाहे ...! अचानक उसे बाहर कुछ शोर सुनाई दिया। उसने दरवाजा खोला। ‘‘किशन बाबू, आपका लड़का ...!’’ ‘‘क्या हुआ?’’ ‘‘सड़क पर एक्सीडेंट।’’ एक ने आगे बढ़कर कहा। सुनते ही वह मुख्य सड़क की तरफ लपके। पीछे-पीछे उसकी पत्नी दौड़ी चली आ रही थी। खून से लथपथ उनका 10 वर्षीय बच्चा सड़क पर अचेत पड़ा था। किशन की पत्नी ने आगे बढ़कर उसे बाहों में उठाकर भींच लिया। ‘‘मुन्ना! मुन्ना!’’ तब तक एम्बुलेंस आ गई थी। पति-पत्नी बच्चे को लेकर अस्पताल की ओर चल पड़े। ‘‘सरकारी अस्पताल?’’ ‘‘नहीं-नहीं। प्राइवेट नर्सिंग होम।’’ पत्नी ने निर्णायक स्वर में कहा। फर्स्ट एड के दौरान ही मुन्ना को होश आ गया। ‘‘मुन्ना

लघुकथा : लाडली

- विक्की नरूला - ‘‘सुनो जी, मैं कहती हूं आपकी लाडली रीना के लिए कोई अच्छा सा लड़का देखकर इसके हाथ पीले कर देते हैं।’’ रश्मि ने अपने पति सागर से कहा। ‘‘अरे तुम पागल हो गई हो, अभी अपनी रीना की उम्र ही क्या है? अभी तो उसके खेलने खाने की उम्र है। उसने सिर्फ मैट्रिक पास की है। अभी तो उसे शहर के कॉलेज में पढ़ना है, आगे बढ़ना है। मैं उसे पढ़ा-लिखाकर एक काबिल डॉक्टर बनाकर ही उसकी शादी करूंगा।’’ सागर ने रश्मि को समझाया। ‘‘अजी रहने दो। शहर के कॉलेजों में माहौल बेहद खराब है। वहां अच्छे बुरे सब तरह के लड़के पढ़ते हैं। कहीं रीना के कदम बहक गए तो! जमाना बड़ा खराब है, इसलिए रीना को आगे मत पढ़ाओ।’’ रश्मि कहकर चुप हो गई। ‘‘रश्मि तुम भी गुजरे जमाने की बात कर रही हो। हमारी रीना बहुत अच्छी लड़की है। इसे हमारी इज्जत की चिन्ता है। इसे अच्छे-बुरे की भी पहचान है। तुम्हें नहीं पता, आज लड़कियां कहां सं कहां पहुंच गई हैं? वो हर क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं। प्रतिभा पाटिल, सोनिया गांधी, सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला सभी ने देश का नाम ऊंचा किया है। ये सभी लड़कियां ही तो थी। इसलिए मैं अपनी बेटी रीना को आगे पढ़ाऊंगा और एक

खतरे में है ‘पहाड़ों की रानी’ मसूरी

- श्रीगोपाल ‘नारसन’ - दिन के बजाय रात को अधिक चमकने वाली ‘पहाड़ों की रानी’ मसूरी धरती डोलने पर कभी भी ध्वस्त हो सकती है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक टैक्निकल जांच सर्वे में यह महत्वपूर्ण और सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि मसूरी में करीब पौने दो शताब्दियों पहले बनी हैरिटेज इमारतें भूकम्प के खतरों को नहीं झेल पाएंगी, वहीं मसूरी में 94 प्रतिशत भवन ईंट व पत्थरों से बने होने के कारण भूकम्प के भारी झटकों में देखते ही देखते ध्वस्त हो सकते हैं, जिस कारण पहाड़ों की रानी मसूरी भी अब सुरक्षित नहीं रह गई है। पर्वत श्रृंखलाओं पर बसी होने के कारण मसूरी में ऊंचे-नीचे रास्ते हैं, वहीं अधिकांश भवन भी पर्वत श्रृंखलाओं पर बने हैं परन्तु ये पर्वत श्रृंखलायें और उन पर बने भवन उतने मजबूत नहीं रह गए हैं, जो भूकम्प आपदा का सामना कर सकें। आईआईटी रूड़की एवं डीएमएमसी द्वारा संयुक्त रूप से किए गए इस सर्वे में कहा गया है कि मसूरी में भवन निर्माण के समय भूकम्परोधी उपायों की अनदेखी की गई है और मौजूदा समय में भी भूकम्परोधी तकनीक न अपनाए जाने से मसूरी खतरे की जद में आ गई है। हाल ही में प्रकाशित इस सर्वे विषयक शोध पत्र में

खास आपके लिए है ये शानदार ‘गिफ्ट’!!!

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निकल पड़ी ‘सांता’ की सवारी

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जरा इन्हें भी आजमाकर देखें

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13.12.10 को पंजाब केसरी (जालंधर) में

मानें या न मानें

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बॉलीवुड गपशप (12.12.2010 को रांची एक्सप्रेस में)

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रहस्य एड्स की उत्पत्ति का

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सांप का श्राप

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-- शिशु मानव (मीडिया केयर नेटवर्क) -- श्राप कभी बेअसर नहीं होता, देर-सवेर इसे भुगतना ही पड़ता है। मानव तो मानव, देवी-देवता और भगवान तक भी श्राप के प्रभाव से बच नहीं पाते। सर्प योनि के नाग-नागिन के श्राप के अनेक किस्से सुनने में आते रहे हैं। सांपों के श्राप को लेकर घटी कुछ सच्ची तो कुछ काल्पनिक कथाओं पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में हाल ही में घटी ऐसी ही एक अजीबोगरीब घटना में सांप के श्राप का प्रभाव स्पष्ट देखा भी गया है। सोनभद्र जिले के दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के सुगवामान नामक गांव में इन दिनों एक ऐसे ही अजीबोगरीब वाकये को देख-सुनकर हर कोई हैरान है। दरअसल हुआ यह कि इस गांव के एक किशोर ने जब से एक सांप को मारा है, तभी से वह स्वयं भी सांपों की तरह ही हरकतें करते हुए फुफकारने भी लगा है। हालांकि डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार यह किशोर पूरी तरह से सामान्य है लेकिन ओझा और तांत्रिक इसे सांप के श्राप का प्रभाव मान रहे हैं। उनका मानना है कि किशोर ने जिस सांप को मारा है, उसके श्राप से ही किशोर की यह दशा हुई है क्योंकि इस किशोर ने सांप से किया अपना वा

कुत्ते की तरह भौंकने वाली गिलहरी

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स्वतंत्र वार्ता (05.12.10) में प्रकाशित बॉलीवुड गपशप

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रांची एक्सप्रेस (05.12.10) में प्रकाशित बॉलीवुड गपशप

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पंजाब केसरी (05.12.10) में प्रकाशित बॉलीवुड गपशप

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‘पंजाब केसरी’ (05.12.10) (जालंधर, लुधियाना, जम्मू, पालमपुर, धर्मशाला, अम्बाला इत्यादि संस्करणों) में ‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ के डिस्पैच में प्रसारित बॉलीवुड गपशप

हिन्दी फिल्मों में चुम्बन का इतिहास

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‘मीडिया केयर नेटवर्क’ के डिस्पैच में प्रसारित एवं दैनिक सन्मार्ग (कोलकाता) में 3.12.2010 को प्रकाशित

ब्यूटी टिप्स

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अपने बच्चों को कैंसरकारक एजेंट्स से बचाएं

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दैनिक पंजाब केसरी (जालंधर, लुधियाना, जम्मू, पालमपुर, अम्बाला इत्यादि संस्करणों) में 29.11.2010 को प्रकाशित

बंदरों की पार्टी

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जी नहीं, यह किसी विवाह समारोह अथवा किसी पार्टी के लिए सजाए गए फलों के स्टॉल का दृश्य नहीं है बल्कि यह दावत वास्तव में बंदरों के लिए ही दी गई है। यह दृश्य है थाईलैंड के लोपबुरी क्षेत्र में एक प्राचीन मंदिर के बाहर आयोजित विशेष वार्षिक वानर भोज का। थाईलैंड के इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बंदरों के लिए यह समारोह प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और इस विशेष समारोह में बंदरों के लिए 4000 किलोग्राम से भी अधिक फल एवं सब्जियां परोसी जाती हैं, वो भी बाकायदा इंसानों के किसी खास उत्सव की भांति पूरी साज-सज्जा के साथ। प्रस्तुति: मीडिया केयर ग्रुप ब्यूरो

‘पार्टी एनिमल’ हैं इमरान हाशमी!

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बॉलीवड की खबरें (स्वतंत्र वार्ता से)

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बॉलीवड की खबरें (रांची एक्सप्रेस से)

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जानें विशालकाय जानवर वालरस के बारे में

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पंखों वाली गाय !

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यह दृश्य देखकर चौंक गए न आप! आपका चौंकना स्वाभाविक ही है क्योंकि अभी तक आपने किसी गाय के शरीर पर इतने बड़े-बड़े पंख कभी देखे नहीं होंगे। जी नहीं, यह जादुई कथानक हैरी पॉटर की फिल्मों वाली पंखों वाली कोई जादुई गाय नहीं है बल्कि यह एक साधारण गाय है। साधारण गाय और वो भी पंखों वाली! बात कुछ हजम नहीं हुई न! तो चलिए सस्पैंस खत्म करते हुए आपको बता ही दें कि इस चित्र में दिखाई दे रही गाय के शरीर पर कोई पंख नहीं उगे हैं बल्कि बड़े-बड़े जो पंख दिखाई दे रहे हैं, वे विश्व के सबसे बड़े पक्षी ‘सारस’ के हैं, जो इस गाय का पीछा कर रहा है। इस चित्र को जरा ध्यान से देखें, एक सारस इस गाय का पीछा करता नजर आएगा। इस अद्भुत दृश्य को एक फोटोग्राफर ने कोएलाडियो नेशनल पार्क में अपने कैमरे में कैद किया। प्रस्तुति : मीडिया केयर ग्रुप ब्यूरो

ये हैं असली ब्यूटी क्वीन

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श्री गणेशाय नमः

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रक्त चूसने वाला छोटा परजीवी ‘पिस्सू’

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कृत्रिम यात्री के साथ लीजिए ड्राइविंग का मजा

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हैल्थ अपडेट

कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है हल्दी हल्दी न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक मसाला है बल्कि यह कई बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद है। हल्दी शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को भी नियंत्रित करती है। हृदय की कई बीमारियों में भी यह बहुत असरकारक भूमिका निभाती है। चिकित्सा विज्ञानी डा. कृष्णा गोस्वामी के अनुसार हल्दी की अल्प मात्रा भी शरीर को कई रोगों से निजात दिला सकती है। डा. कृष्णा गोस्वामी बताती हैं कि हल्दी की मात्र एक ग्राम मात्रा भी व्यक्ति में कोलेस्ट्रोल से पैदा होने वाली जटिलताओं से मुक्ति दिला सकती है। यही नहीं, हल्दी शरीर के किसी भी अंग में ट्यूमर नहीं पनपने देने में भी बहुत अच्छी भूमिका निभाती है। (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स) अवसाद (डिप्रैशन) क्या है? अवसाद दिमागी बीमारी की सबसे सामान्य स्थिति है। एक अवसादग्रस्त व्यक्ति में गहरी उदासी तथा अनिच्छुकता की भावनाएं होती हैं। उसमें बहुत कम इच्छाशक्ति होती है। अवसाद वाले व्यक्ति आमतौर पर न तो सही ढ़ंग से खाना खा पाते हैं, न ही पर्याप्त नींद ले पाते हैं और न सही तरीके से अपना कार्य कर पाते हैं। बहुत से ल

बच्चों के बैडरूम को न बनाएं कम्प्यूटर रूम

-- योगेश कुमार गोयल -- विज्ञान एवं तकनीकी की इस दुनिया में सब कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है। लोग कामकाज के पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर रोज नई-नई तकनीकें अपना रहे हैं। कम्प्यूटर भी इन्हीं नवीनतम तकनीकों में से एक है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी अपना अधिकांश समय अब खेलने-कूदने के बजाय कम्प्यूटर के सामने ही बिताने लगे हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता अथवा अभिभावक भी चाहते हैं कि आज के प्रतिस्पर्द्धात्मक युग में उनके बच्चे बचपन से ही कम्प्यूटर सीखकर जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ें। संभवतः यही वजह है कि बहुत से माता-पिता बच्चों के बैडरूम को ही उनके कम्प्यूटर रूम के रूप में तब्दील कर देते हैं लेकिन ऐसा करके वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। एक ओर जहां बच्चों में कम्प्यूटर एवं इंटरनेट की ओर तेजी से बढ़ते रूझान के कारण उनमें खेलने-कूदने के प्रति लगातार कम होती जा रही रूचि उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होने लगी है, वहीं बहुत से बच्चे माता-पिता की अनुपस्थिति में कम्प्यूटर पर गेम आदि खेलने के बजाय इंटरनेट खोलकर अश्लील वेबसाइटों का भ्रमण करने लगते हैं। बहुत से बच्चे घरों के बजाय इंटरनेट कैफे में जाकर अश्ली

फूल ले लो फूल!

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अद्भुत दृश्य

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कास्टिंग काउच: फिल्म सितारों की नजर में

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बॉलीवुड की खबरें

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अद्भुत नजारा!

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