बेकार न जाए दामिनी की शहादत
23 वर्षीया बहादुर लड़की दामिनी मरी नहीं है बल्कि शहीद हुई है और उसकी ये शहादत किसी भी कीमत पर बेकार नहीं जानी चाहिए. दामिनी ने अंतिम सांस तक लड़ते हुए नारी-उत्पीड़न मुक्त भारत का जो सपना देश के जनमानस की आंखों में जगाया है, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी अब हमारी है. महिलाओं की आजादी, सुरक्षा और सम्मान को लेकर शुरू हुई यह जंग अब जारी रहनी चाहिए. यही दामिनी को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.