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Showing posts from October, 2010

व्यंग्य: लड्डू महिमा

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दैनिक पंजाब केसरी में 27.10.2010 को प्रकाशित (मीडिया केयर नेटवर्क द्वारा प्रसारित)

लघुकथा : रहम

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दैनिक पंजाब केसरी में 27.10.2010 को प्रकाशित (मीडिया केयर नेटवर्क द्वारा प्रसारित) 

अब झूठ पकड़ेगा थर्मल कैमरा

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दैनिक हमारा महानगर (मुम्बई) में 31.10.2010 को प्रकाशित

10 लाख वर्षों तक कीड़े-मकोड़े खाता इंसान

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दैनिक सन्मार्ग (कोलकाता) में 31.10.2010 को प्रकाशित

‘अहोई अष्टमी व्रत’ पर विशेष

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इनकी … उनकी … सबकी दीवाली

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दीवाली आ रही है, चारों ओर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, जैसे कॉमनवैल्थ गेम्स के आयोजन की तैयारियां। घर-आंगन, इमारतें सब नए-नए रंगों में रंगे जा रहे हैं। शारदीय माहौल में धूप भी कुनकुनी हो चली है। दीवाली आने पर सबकी खुशी अलग ही नजर आती है। इस बार हमने सोचा कि इस महंगाई के माहौल में दीवाली के प्रति लोगों का नजरिया जान लिया जाए। कारण कि अन्य त्योहार तो फीके हो चले हैं। सबसे पहले हम रमुआ मजदूर से मिले। वह कहता है, ”इस बार तो बीते सालों की अपेक्षा जानदार दीवाली होगी अपनी!” ”ऐसा कौन-सा गड़ा धन मिल गया तुझे, जो तेरा दीवाला निकालने वाली दीवाली इस बार अपार खुशी प्रदान कर रही है, ‘लक्ष्मी जी सदा सहाय करें’ की तर्ज पर?” हमने कहा तो वह हमारी बातों पर खिलखिलाकर हंस पड़ा, ”भैया, ग्राम पंचायत में अपना भी रोजगार गारंटी योजना के तहत जॉब कार्ड बन गया है पर अपन वहां की मजदूरी में नहीं जाते।” ”काहे?” ”अपन सेठ के यहां अनाज तोलकर ज्यादा कमा लेते हैं।” ”फिर मुझे जॉब कार्ड की बात क्यों बता रहा था?” ”भैया, हमने एक चालाकी अपना ली है। वह यह कि हमारे कार्ड में सरपंच सचिव से सांठगांठ के तहत हमारी मजदूरी भ

असली सुंदरता सादगी में: सेलिना जेतली

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पंजाब केसरी (जालंधर, लुधियाना, अम्बाला, जम्मू इत्यादि) में 28.10.2010 को प्रकाशित

अब आसानी से पाया जा सकेगा मोटापे से छुटकारा

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पंजाब केसरी (जालंधर, लुधियाना, अम्बाला, जम्मू इत्यादि) में 28.10.2010 को प्रकाशित

दीपिका पादुकोण के संग हसीनाओं का मेला

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एक जैसे ही होते हैं अधिकांश मर्द: सेलिना जेतली

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‘हमारा महानगर’ में 24.10.2010 को प्रकाशित

सवारी: वो भी अजगर की!

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क्यों किया जाता है ‘अहोई अष्टमी’ व्रत?

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पंजाब केसरी (जालंधर, लुधियाना, जम्मू, अम्बाला इत्यादि) में 25.10.2010 को प्रकाशित

मिली एनाकोंडा की एक नई प्रजाति

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कड़वे सच का एक विश्वसनीय दस्तावेज

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चर्चित पुस्तक कड़वे सच का एक विश्वसनीय दस्तावेज ‘तीखे तेवर’ लेखक ने जो कुछ कहा है, वह पूरी वैचारिक ऊर्जा के साथ कहा है, जिसके कारण चिंतन की निष्पक्षता एवं स्वतंत्रता का ग्रंथ के हर पृष्ठ पर आस्वादन किया जा सकता है। चर्चित पुस्तक: तीखे तेवर लेखक: योगेश कुमार गोयल पृष्ठ संख्या: 160 (सजिल्द) प्रकाशन वर्ष: नवम्बर, 2009 मूल्य: 150 रुपये प्रकाशक: मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स, बादली, जिला झज्जर (हरियाणा)-124105. भूमिका लेखन: डा. राधेश्याम शुक्ल, सम्पादक दैनिक स्वतंत्र वार्ता, हैदराबाद देश के प्रतिष्ठित पत्रकार एवं लेखक श्री योगेश कुमार गोयल, जो एक प्रख्यात समाचार-वृत्त एवं लेख सेवा के समूह सम्पादक भी हैं, सामाजिक तथा अनेक सामयिक विषयों पर विश्लेषणात्मक टिप्पणियों एवं सृजनात्मक लेखन के लिए पाठकों के हृदय में एक विशिष्ट स्थान बना चुके हैं। ‘तीखे तेवर’ में संकलित किए गए उनके 25 आलेखों का फलक विस्तृत है व उनमें एक स्वस्थ तथा संवेदनशील समाज की संरचना के प्रति एक अनूठी जागरूकता प्रदर्शित की गई है, जो लेखों के साभिप्राय शीर्षक स्वयं भली-भांति व्याख्यायित करते हैं। उनकी अभिव्यक्ति की एक विशिष

एक ऐसा पक्षी, जो करता है शिकार की पिटाई

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पंजाब केसरी (जालंधर/जम्मू/अम्बाला) में 24.10.2010 को प्रकाशित

9 करोड़ की ब्रा!

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पहचानें: कौन है असली, कौन नकली?

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डांस करें, फिट रहें

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दैनिक पंजाब केसरी (जालंधर / जम्मू / अम्बाला) में प्रकाशित

दुर्घटनाएं और प्राथमिक उपचार

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-- सुनील कुमार ‘सजल’

कड़वे सच का एक विश्वसनीय दस्तावेज

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दैनिक रांची एक्सप्रेस में 9 अक्तूबर 2010 को प्रकाशित

मैं चाहे इधर करूं, मैं चाहे उधर करूं, मेरी मर्जी ...

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Photo by : Anand Verma

क्या पत्रकार का असहाय होना जुर्म है?

आज ना जाने क्यों अपने पत्रकार और ईमानदार होने पर पहली बार शर्म आ रही है। आज दिल चाह रहा है कि अपने सीनियर्स जिन्होंने हमको ईमानदार रहने के लिए शिक्षा दी उन पर मुकदमा कर दूं। साथ ही ये भी दिल चाह रहा है कि नई जनरेशन को बोल दूं कि ख़बर हो या ना हो, मगर ख़ुद को मजबूत करो। कम से कम इतना मज़बूत तो कर ही लो कि अगर तु्म्हारी बेगुनाह माता जी को ही पुलिस किसी निजी द्वेश की वजह से ब्लैकमेल करते हुए थाने में बिठा ले तो मजबूर ना होना। थानेदार से लेकर सीओ, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, डीजी समेत सूबे की मुखिया तक को उसकी औक़ात के हिसाब से ख़रीदते चले जाना। मगर मां के एक आंसू को भी थाने में मत गिरने देना। ये मैं इसलिए नहीं कह रहा कि तुम्हारी बेबसी से तुम्हारा अपमान हो जाएगा। बल्कि अगर अपमान की वजह से किसी बदनसीब की बेगुनाह की मां की आंख का एक क़तरा भी थाने में गिर गया तो यक़ीन मानना उस एक कतरे के सैलाब में कोई भी व्यवस्था बह जाएगी। आज मेरे एक दोस्त की, बल्कि मेरी ही माता जी के उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों होने वाले अपमान की ख़बर मिली। ना जाने क्यों ऐसा लगा कि किसी ने मेरे पूरे बदन से कपड़े ही नोंच लिए हों

गूंगी-बहरी-अंधी मायावती सरकार के लिए

  मेरी मां यूपी के गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में पूरी रात बंधक बनाकर रखी गईं. साथ में विकलांग चाची को भी रखा गया. चाची की बहू को भी. इन लोगों ने थाने के अंदर मीडियाकर्मियों को अपना बयान दिया. इसमें सब कुछ बताया. इसमें साफ-साफ बताया कि पुलिस ने घर में किसी पुरुष को न पाकर इन लोगों को जबरन गाड़ी में बिठा लिया. कई घंटे इधर-उधर घुमाने के बाद थाने में लाकर डाल दिया. ये यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि किस तरह उत्तर प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो चुकी है और किसी परिवार के आत्मसम्मान और इज्जत कौ रौंदने पर आमादा है. क्या इन प्रमाणों के बाद भी यूपी सरकार को कोई सुबूत चाहिए? लेकिन मायावती सत्ता के मद में चूर हैं. मायावती सरकार गूंगी-बहरी और अंधी हो चुकी है. उनके अफसर बुद्धि और विवेक हीन प्यादों की तरह कुर्सियां पर आसीन हैं और जी सर जी सर करते हुए लोकतंत्र की आत्मा के साथ बलात्कार कर रहे हैं. मेरी इस निजी लड़ाई, जिसे मैं खुद निजी नहीं मानता क्योंकि कल तक यह सब दूसरों के घरों में हुआ करता था, आज मेरे घर में हुआ है और परसों आपके भी घर में हो सकता है, में जो साथी अपना समर्थन और सहयोग दे रहे हैं, उनका म

बड़ी चालाक होती है कोयल

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16 अक्तूबर 2010 को दैनिक पंजाब केसरी (जालंधर/लुधियाना/अम्बाला/जम्मू) में

अनोखा फोटो सैशन!

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एक फोटो सैशन के दौरान पहले चित्र में एक पार्क में घोड़े पर तथा दूसरे चित्र में पेड़ों के बीच अपनी कला का अद्भुत नजारा पेश करती सुंदरी बैलेरिनास

जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया

काला कोट और सफेद कमीज पहने अनोखा समुद्री पक्षी पेंग्विन ठंडे इलाकों में रहने वाले समुद्री पक्षी पेंग्विन की यूं तो दुनिया भर में इस समय 17 प्रजातियां हैं पर सभी में एक समानता यह है कि ये सीधे खड़े होते हैं और चपटे पैरों से चलते हैं। छोटे-छोटे परों से ढ़का इनका बदन ऐसा लगता है जैसे इन्होंने पीछे काला कोट और आगे सफेद कमीज पहन रखी हो। हालांकि पेंग्विन्स के प्राचीन अवशेषों से यह जानकारी मिलती है कि प्राचीन समय में पेंग्विन की ऊंचाई खड़े होने पर 70-72 इंच तक होती थी मगर अब सबसे बड़े आकार वाले पेंग्विन्स की ऊंचाई अधिकतम 44-45 इंच तक ही मिलती है जबकि सबसे छोटे पेंग्विन्स की ऊंचाई 16 इंच के करीब होती है। सबसे बड़े पेंग्विन ‘एम्पेर्र पैंग्यून्स’ प्रजाति के हैं, जिनका वजन 27 से 42 किलो तक होता है जबकि सबसे छोटी प्रजाति ‘फेरी पैंग्यून्स’ है, जिनका वजन करीब एक किलो होता है। पेंग्विन्स भूमध्य रेखा के बर्फीले पानी में ही जीवन बिताते हैं। 75 फीसदी पेंग्विन्स समुद्र के किनारों पर ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ये दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका, न्यूजीलैंड, पेरू, दक्षिण आस्ट्रेलिया तथा दक्षिण ब्राजील में ही बहुतायत

गर्भ में ही ठीक हो सकेगी शिशु के फेफड़ों की विकृति?

गर्भस्थ शिशुओं में होने वाली एक अज्ञात विकृति की वजह से उनके फेफड़ों का विकास अवरूद्ध हो जाता है और उनके जीवित बचने की संभावना भी कम हो जाती है। गर्भस्थ शिशुओं की इस बीमारी को ‘कॉन्जेनिटल डायफ्राम हर्निया’ (सीडीएच) कहा जाता है। अब ऐसे शिशुओं को बचाने के लिए ल्यूवेन के अलावा लंदन तथा बार्सिलोना में भी गर्भ में ही एक ऐसा ऑपरेशन किया जाने लगा है, जिससे फेफड़ों का सही विकास सुनिश्चित हो सके। डॉक्टर इस ऑपरेशन के जरिये इस विकृति से पीड़ित करीब 60 फीसदी बच्चों को बचाने में सफल भी रहे हैं, जिनकी मौत सुनिश्चित मानी जा रही थी। यह ऑपरेशन करने वाले डा. काइप्रोस निकोलैड्स का कहना है कि प्रतिवर्ष करीब 3000 गर्भस्थ बच्चों के फेफड़ों का विकास नहीं हो पाता और ऐसा क्यों होता है, इसका कारण अभी तक पता नहीं चल सका है। रूटीन स्क्रीनिंग के दौरान जिन शिशुओं में इसकी पहचान हो जाती है, उनमें से आधे ही जीवित बच पाते हैं। इस बीमारी में गर्भस्थ शिशु के डायफ्राम, जो कि पेट के क्षेत्र को सीने के क्षेत्र से अलग करता है, में एक छेद होता है। इस छेद के कारण पेट के क्षेत्र के अंग सीने के क्षेत्र की तरफ आने लगते हैं और फेफड़

पाचन शक्ति बढ़ाने के कारगर उपाय

एक कहावत है ‘पहला सुख निरोगी काया’। स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के निर्माण में सहायक होता है। स्वस्थ रहने की पहली शर्त है आपकी पाचन शक्ति का सुदृढ़ होना। भोजन के उचित पाचन के अभाव में शरीर अस्वस्थ हो जाता है, मस्तिष्क शिथिल हो जाता है और कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। जिस प्रकार व्यायाम में अनुशासन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार भोजन में भी अनुशासन महत्वपूर्ण है। अधिक खाना, अनियमित खाना, देर रात तक जागना, ये सारी स्थितियां आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि पाचन शक्ति को दुर्बल होने से बचाएं। पाचन तंत्र की दुर्बलता दूर करने के कुछ घरेलू उपाय यहां दिए जा रहे हैं, जिनके प्रयोग से निश्चय ही काफी लाभ होगा। -- पके अनार के 10 ग्राम रस में भुना हुआ जीरा और गुड़ समभाग मिलाकर दिन में दो या तीन बार लें। पाचन शक्ति की दुर्बलता दूर होगी। -- काली राई 2-4 ग्राम फांकी लेने से कब्ज से होने वाली बदहजमी मिट जाती है। -- अनानास के पके फल के बारीक टुकड़ों में सेंधा नमक और काली मिर्च मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। -- भोजन के बाद पेट झूल जाए, बेचैनी महसूस हो तो 20-50

छोटे बच्चों में एंटीबायोटिक्स की अधिकता बढ़ाती है दमे का खतरा

छोटे-छोटे बच्चों को भी उनकी छोटी-बड़ी हर बीमारी में एंटीबायोटिक्स दिया जाना एक आम बात हो गई है लेकिन बच्चों को कुछेक बीमारियों में उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं की अधिक डोज भी देनी पड़ती है मगर एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे बच्चों को अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स देने से उनमें कम उम्र में ही दमा होने का खतरा बढ़ जाता है। एक हैल्थ मैग्जीन में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों को काफी कम उम्र में ही अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं दिए जाने से बच्चे दमे के शिकार हो सकते हैं। ज्यादा छोटे बच्चों को प्रायः आहारनाल में संक्रमण होने पर अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं किन्तु शोध के मुताबिक इन दवाओं के असर से ऐसे बच्चों में भविष्य में दमा होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में बचपन में दमे का शिकार होने का खतरा 46 फीसदी तक बढ़ जाता है। सात साल की उम्र तक इन दवाओं के असर से बच्चों में दमा हो सकता है। प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल

क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट पर यकीन करें तो सन् 2020 तक भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 70 लाख तक हो जाएगी। अमेरिका के ‘फिजिशियन्स कमिटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसन’ (पीसीआरएम) के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष करीब 30 लाख लोग हार्ट अटैक के शिकार होते हैं, जिसके लिए वे स्वयं ही जिम्मेदार होते हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व के अन्य लोगों की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग की दर काफी ज्यादा पाई जाती है। भारतीयों में हृदय रोग की संभावना अमेरिकियों, यूरोपियनों, चीनियों तथा जापानियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक पाई जाती है। इस अध्ययन के मुताबिक भारतीयों में मांस-मछली, अण्डा, घी, दूध, आलू चिप्स, दही तथा अन्य वसायुक्त भोजन की अधिकता हार्ट अटैक की संभावनाओं को बढ़ाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मांस, अंडे और डेयरी पदार्थों में पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैट और भोज्य सामग्री में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल शरीर में स्ट्रोक्स, मधुमेह तथा अन्य कई प्रकार के कैंसर के खतरे के साथ-साथ हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ाते हैं। मैसाच्युएट्स में हुए एक अध्ययन के अनुसार दैनिक

बच्चों को संस्कारहीन बनाते अभद्र नामों वाले पाउच

एक ओर जहां हम अपने बच्चों को महंगे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षा दिलाकर उन्हें सभ्य बनाना चाहते हैं और भविष्य में उन्हें ऊंचे-ऊंचे पदों पर आसीन देखना चाहते हैं, वहीं हमारे इन्हीं नौनिहालों के कोमल मन को न केवल हमारी टीवी संस्कृति दूषित कर रही है बल्कि सूबे के अनेक इलाकों में अभद्र नामों से बिक रहे मीठी गोलियों के एक-एक रुपये के छोटे पाउच भी उन्हें संस्कारहीन बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए भारतीय संस्कृति का भी सरेआम मजाक उड़ा रहे हैं। बच्चों के लिए मात्र एक रुपये कीमत में उपलब्ध कराए गए तरह-तरह के पाउचों को ऐसे ऊटपटांग नामों से बाजार में उतारा गया है, जिनके नाम आम भाषा में गाली के समान लगते हैं। ऐसे ही अभद्र व असभ्य नामों वाले पाउच राजस्थान के विभिन्न इलाकों में दिल्ली से बहुतायत में सप्लाई हो रहे हैं। ऐसा ही एक पाउच, जिस पर नाम अंकित था ‘ओए भूतनी के’ जब हमारी नजरों के सामने आया तो हम चौंके बिना नहीं रह सके। यह तो सिर्फ एक बानगी थी, ऐसे ही न जाने कितने ही असभ्य नामों वाले पाउचों से बाजार भरा पड़ा है, जो बालमन को दूषित करते हुए हमारे संस्कारों से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। कल्पना करें,