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Showing posts from April, 2010

जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया - 47

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- योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) सर्वाधिक रहस्यमयी, सर्वाधिक सुंदर कलाबाज बंदर ‘गिबन्स’ दक्षिण एशिया तथा ईस्टइंडीज के समशीतोष्ण जंगलों में पाए जाने वाले ‘गिबन्स’ नामक बंदर वानर प्रजाति में सर्वाधिक रहस्यमयी तथा सर्वाधिक सुंदर बंदर माने जाते हैं। भारत में असम के अलावा बांग्लादेश, उत्तरी म्यामा (बर्मा) तथा चीन के कुछ हिस्सों में भी हुलाक गिबन्स पाए जाते हैं। गिबन्स को रहस्यमयी वानर तो माना ही जाता है, यह वानर प्रजाति में सबसे कुशल कलाबाज भी हैं। ये वानर तरह-तरह की आवाजें निकालने में सक्षम होते हैं तथा पेड़ों के बीच से सुगमता एवं शक्तिपूर्वक झूल जाने की अपनी क्षमता के कारण भी दुनियाभर में विख्यात हैं। ये एक हाथ से पेड़ की एक डाली पकड़कर झूलते हुए दूसरी डाली पर पहुंच जाते हैं और कई बार इनकी यह छलांग आठ से दस मीटर लंबी होती है। गिबन्स अपनी लंबी बांहों के कारण भी जाने जाते हैं। दरअसल इनकी बांहें इतनी लंबी होती हैं कि जब ये खड़े होते हैं, तब इनकी बांहों की उंगलियां जमीन को छूती हैं। इनकी भुजाएं मनुष्य की भुजाओं से लगभग दुगुनी लंबी होती हैं। अपनी लंबी बांहों से इन्हें अपने बहुत से कार्य

कब मिलेगा मजदूरों को इंसाफ?

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पुस्तक चर्चा : सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं ‘तीखे तेवर’

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सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं ‘तीखे तेवर’ लेखक का यह प्रयास सामाजिक अभियंताओं तथा शोधार्थियों के लिए शोध का विषय बनकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा, ऐसी आशा है। पुस्तक: तीखे तेवर लेखक: योगेश कुमार गोयल पृष्ठ संख्या: 160 मूल्य: 150 रुपये संस्करण: 2009 प्रकाशक: मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स, बादली, जिला झज्जर (हरियाणा)-124105. दैनिक ट्रिब्यून सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित समाचारपत्र-पत्रिकाओं के साप्ताहिक स्तंभ ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ के स्तंभकार श्री योगेश कुमार गोयल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पिछले दो दशकों में प्रमुख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनके आठ हजार से भी अधिक आलेख उनकी रचनात्मक पत्रकारिता एवं लेखन के प्रमाण कहे जा सकते हैं। एक समाचार आलेख सेवा एजेंसी के सम्पादक के तौर पर भी उन्होंने कुशल सम्पादन के अलावा सामाजिक सरोकारों से जुड़े बहुआयामी पक्षों को रेखांकित करते हुए जो समसामयिक लेखन किया है, वह सही मायने में पत्रकारिता के लिए एक मिसाल है। उनके इसी समसामयिक एवं प्रासंगिक लेखन पर आधारित है उनकी नई पुस्तक ‘‘तीखे तेवर’’, जिसमें उनके पच्चीस निबंध शामिल किए गए हैं। पुस्त

नक्सलियों के स्वभाव में परिवर्तन कब, क्यों और कैसे?

- योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) गत 6 अप्रैल को छत्तीसगढ़ स्थित दंतेवाड़ा में तो नक्सलियों ने अपने जाल में फंसाकर अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला करके करीब 76 सुरक्षाकर्मियों को मौत की नींद सुलाकर सरकार के ‘नक्सल विरोधी अभियान’ की धज्जियां उड़ा दी। 15 फरवरी 2010 को भी मिदनापुर के सिलदा क्षेत्र में नक्सलियों ने अपने हमले में ईस्टर्न फ्रंथ्अयर राइफल्स के 24 जवानों की हत्या कर दी थी। इसके अलावा 22 मई 2009 को नक्सलियों ने गढ़चिरौली के जंगलों में 16 पुलिसवालों को मौत के घाट उतार दिया था जबकि 16 जुलाई 2008 को उड़ीसा के मलकानगिरी में नक्सलियों ने विस्फोट करके पुलिस वाहन उड़ाकर 21 जवानों को मार डाला था। सवाल यह है कि देश में नक्सली संगठनों के स्वभाव में परिवर्तन कब, क्यों और कैसे आया? वर्ष 1990-91 के आते-आते नक्सलवादी आतंकवाद के स्वभाव में काफी बदलाव आने लगा था। इस बदलाव के चिन्ह बिहार के नक्सलवादी संगठनों में स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे थे। आन्दोलन के कई उग्रवादी नेताओं ने बंदूक की नाल से निकलने वाली क्रांति का स्वप्न छोड़कर लोकतांत्रिक तरीके से सामाजिक व्यवस्था को बदलने की बात भी सोचनी

HINDI MEDIA : तीखे तेवर

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कार्टूंन कोना

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साभार: मीडिया खबर डॉट कॉम

तीखे तेवर

कृपया इस लिंक का अनुसरण करें:- http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=95&tid=2404

बैसाखी से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य

- योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारे यहां बैसाखी पर्व का संबंध फसलों के पकने के बाद उसकी कटाई से जोड़कर देखा जाता रहा है। इस पर्व को फसलों के पकने के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि बैसाखी का त्यौहार विशेष तौर पर पंजाब का प्रमुख त्यौहार माना जाता रहा है लेकिन यह त्यौहार सिर्फ पंजाब में नहीं बल्कि देशभर में लगभग सभी स्थानों पर खासतौर से पंजाबी समुदाय के लोगों द्वारा तो हर साल 13 अप्रैल को बड़ी धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंजाब तो वैसे भी देश का प्रमुख अन्न उत्पादक राज्य है और जब यहां किसान अपने खेतों को फसलों से लहलहाते देखता है तो वह इस दिन खुशी से झूम उठता है और खुशी के इसी आलम में शुरू हो जाता है गिद्दा और भांगड़ा का मनोहारी दौर। यही वजह है कि खासतौर से पंजाब में बैसाखी के पर्व पर गिद्दा और भांगड़ा के कार्यक्रम न हों, यह तो हो ही नहीं सकता। उत्तर भारत में और खासतौर से पंजाब में गिद्दा और भांगड़ा की धूम के साथ मनाए जाने वाले बैसाखी पर्व के प्रति भले ही काफी जोश देखने को मिलता है लेकिन वास्तव में यह त्यौहार विभिन्न ध

पुस्तक समीक्षा

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अनूठा संग्रह है ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया’ पुस्तक: जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया लेखक: योगेश कुमार गोयल पृष्ठ संख्या: 96 मूल्य: 100 रुपये संस्करण: 2009 प्रकाशक: मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स, बादली, जिला झज्जर (हरियाणा)-124105. कौनसे मेंढ़क से शराब निकलती है? कौनसे मुर्गे की पूंछ बीस फुट होती है? कौनसा बंदर हर पल रंग बदलता है? कौनसी चील आग में कूदकर शिकार पर झपटती है? दुनिया की सबसे कीमती मछली कौनसी है? कौनसा सांप घोंसला बनाता है? कौनसा जीव स्तनधारी होने पर भी अण्डे देता है? कौनसा पक्षी तूफान के दौरान भी उड़ सकता है? अपने बिल तक कैसे पहुंच जाती हैं चींटियां? मानव उपस्थिति का पता कैसे लगा पाते हैं मच्छर? कौनसे पक्षी रखते हैं संगीत की परख? कैसे बदलता है गिरगिट का रंग? कौनसी मछली हवा में उड़ती है? छह टांगें होने पर भी कौनसा जीव उड़ नहीं सकता? कौनसा चमगादड़ पशुओं का खून पीता है? दुनिया का सबसे बड़ा अजगर कौनसा है? दुनिया का सबसे विचित्र बाज कौनसा है? कौनसी बिल्ली ताड़ी पीती है? सबसे जहरीला बिच्छू कौनसा है? ... जैसे एक सौ चौंतीस जीव-जंतुओं पर आधारित पुस्तक ‘जीव-जंतुओं की अनोखी दुनि

जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया-46

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. योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) दुबला-पतला 12 फुट लंबा जहरीला सांप ‘बुशमास्टर’ मध्य अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय स्थानों में पाया जाने वाला पिट वाइपर समूह का ‘बुशमास्टर’ सांप बेहद विषैला सांप है, जिसका संबंध रैटल स्नैक से भी है। बिल्कुल दुबला-पतला यह सांप 12 फुट तक लंबा होता है, जिसके विषदंत की लम्बाई भी एक इंच तक होती है। मादा बुशमास्टर एक बार में 12 तक अण्डे देती है। बुशमास्टर के शरीर का पिछला भाग लाल या पीला होता है, जिस पर तिरछे गहरे बांड भी होते हैं और आंख से लेकर मुंह तक एक लंबी लकीर भी होती है। (एम सी एन) दरियाई घोड़ा: जिसके शरीर से निकलता है गुलाबी पसीना अपने वैज्ञानिक नाम ‘हिप्पोपोटेमस’ के नाम से जाना जाने वाला दरियाई घोड़ा हाथी तथा गैंडे के बाद धरती पर सबसे बड़ा जीव है लेकिन इस जानवर की हैरानी में डालने वाली सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एकमात्र ऐसा जानवर है, जिसके शरीर से गुलाबी पसीना निकलता है। दरियाई घोड़े प्रायः 6 से 10 फुट तक लंबे होते हैं किन्तु कांगो के घने जंगलों में 10 से 14 फुट लंबे दरियाई घोड़े भी देखे जा सकते हैं। व्यस्क दरियाई घोड़े का वजन तकरीब

गंगा का तन मैला, तुम्हारा मन मैला, कैसे भरेगा पुण्य का थैला!

. श्रीगोपाल ‘नारसन’ (मीडिया केयर नेटवर्क) गंगा को मैला सब कर रहे हैं लेकिन इसकी नियमित सफाई हो, यह ध्यान किसी को नहीं है। कुम्भ के चलते आए दिन लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने ‘पाप’ गंगा में धो रहे हैं लेकिन गंगा कितने पाप झेल पाएगी, इसकी फिक्र कोई नहीं कर रहा। हद तो यह है कि श्रद्धालु आस्था की डुबकी के साथ-साथ साबुन स्नान का भी प्रयास करते हैं। यहां तक कि अपने मैले कपड़ों और वाहनों तक को गंगा में धोने की धृष्टता अब सरेआम की जा रही है, जिससे गंगा दिन-प्रतिदिन मैली हो रही है। गंगा की सफाई का दिखावा करने वाले तो बहुत हैं लेकिन सफाई के नाम पर बजट डकारकर चुप्पी साध लेने, सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए गंगा सफाई का नाटक करने से काम चलने वाला नहीं है। सरकार जहां गंगा का मैलापन दूर करने के लिए 1670 करोड़ रुपये खर्च करके बैठ गई, वहीं योग गुरू बाबा रामदेव भी अपने शिष्यों के साथ एक दिन गंगा की सांकेतिक सफाई करके चले गए और अगले ही पल से फिर गंगा में मैलापन छाने लगा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गंगा को मैलेपन से बचाने यानी प्रदूषण मुक्त रखने के लिए गंभीरता के साथ प्रयास क्यों नहीं किए जा रहे हैं?

Cartoon Kona

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जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया-45

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. योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क) शिकार के पीछे कभी-कभार ही भागता है ‘रेसर’ सांप रेसर जाति के अन्य सांपों की ही भांति यूं तो लाल पूंछ वाले रेसर सांप की गिनती तेजी से रेंगने वाले सांपों में ही की जाती है किन्तु फिर भी यह शिकार के पीछे कभी-कभार ही भागता है। अमूमन होता यही है कि जब इसे भूख लगती है तो यह अपनी जीभ को बाहर निकालकर लपलापाता है, जिससे इसे छिपकली या छोटे स्तनपायी प्राणियों की गंध सूंघने में मदद मिलती है। गंध मिलने के बाद यह शिकार के इंतजार में उस स्थान के आसपास बिल्कुल स्थिर अवस्था में खड़ा हो जाता है और जैसे ही कोई शिकार इसके नजदीक आता है, यह अपने जबड़े खोलकर अपने दांतों की सहायता से झट से शिकार को खींचकर पूरा का पूरा निगल जाता है। चमगादड़ रेसर सांप का पसंदीदा भोजन हैं, जिनकी तलाश में यह चमगादड़ों के निवास के आसपास वृक्षों की शाखाओं पर गोल व चिकने पत्थर की भांति लटकता रहता है। (एम सी एन) अण्डे देने के लिए घोंसला बनाती है मादा किंग कोबरा दुनियाभर में घोंसला बनाने वाला एकमात्र सांप है ‘किंग कोबरा’ यानी नागराज। मादा किंग कोबरा पत्ते और मिट्टी इकट्ठा कर-करके शंकु आकार का करीब ए

ये कैसा ‘कुम्भ’ है?

सीधे कुम्भ नगरी से . श्रीगोपाल ‘नारसन’ (मीडिया केयर नेटवर्क) चाय, सुल्फा और भभूत बने आकर्षण कुम्भ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जहां कुम्भ स्नान और हरिद्वार के मंदिर मुख्य आकर्षण हैं, वहीं साधु-संतों के अखाड़ों व मठों से जुड़े डेरों में चाय, सुल्फा और भभूत आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। शायद ही कोई ऐसा डेरा हो, जहां दिनभर चाय, सुल्फा और भभूत मलने व प्रसाद के रूप में वितरित करने का दौर न चलता हो। तम्बूनुमा छोटे-छोटे डेरों में लकड़ी के बड़े तने को ही धूने में आग के हवाले कर सुल्फे के कश और चाय की चुस्की के साथ कुम्भ का आनंद ले रहे हैं नागा सन्यासी और उनके भक्तजन। साथ ही तम्बुओं में चल रहे रंगीन टी.वी. पर देश के ताजा हालात से भी वाकिफ हो रहे हैं सन्यासी बाबा। (एम सी एन) रोज हो रही है लाखों रुपये के नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त ‘‘माल है क्या?’’ ‘‘कितना चाहिए!’’ ‘‘चार तोला।’’ ‘‘मिल जाएगा, 500 रुपये प्रति तोला का रेट है। रुपये एडवांस देने होंगे। सुबह रुपये दोगे तो शाम तक माल की डिलीवरी होगी।’’ ये संवाद अथवा वाक्य किसी फिल्म के डायलॉग नहीं हैं बल्कि धर्मनगरी हरिद्वार में कहीं ओर नही