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Showing posts from February, 2011

दैनिक पंजाब केसरी (पंजाब) में ‘मीडिया केयर ग्रुप’ की फिल्मी खबरें

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा दैनिक पंजाब केसरी में प्रकाशित

किलेनुमा बस्ती में रहते हैं छछूंदर

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करीना करेंगी नए फैशन ट्रैंड की शुरूआत

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बसंत बहार

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हमिंग बर्ड ‘साहसी’, बस्टर्ड क्वेल ‘रसिक’

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जान है जहान है

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डीएनए बताएगा, अपने साथी के प्रति कितने वफादार हैं आप!

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हमारा पर्यावरण: बिगड़ता मिजाज मौसम का----योगेश कुमार गोयल

हमारा पर्यावरण: बिगड़ता मिजाज मौसम का----योगेश कुमार गोयल

बाल कहानी: चूहे की समझदारी

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ऑफ स्क्रीन कैसी हैं आयशा टाकिया?

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शक्तिशाली जबड़ों वाला ‘दीमक’

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कैटरीना करेंगी सत्संग!

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अभिषेक के साथ काम नहीं करेंगी ऐश!

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भयानक प्रतिशोध समुद्री जहाज का (दूसरा एवं अंतिम भाग)

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मधुबाला की पुण्यतिथि (23 फरवरी) पर विशेष

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न दें बच्चों को प्लास्टिक में लिपटे खाद्य पदार्थ

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क्यों होता है हमारा मूड ऑफ?

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फल-सब्जियों से बढ़ाएं स्मरण शक्ति

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क्या अदा क्या जलवे तेरे ...!

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बिल्ली, जो बनाती है पेड़ों पर घोंसला

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गंजी हो गई लारा दत्ता!

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‘स्वतंत्र वार्ता’ में प्रकाशित बॉलीवुड गपशप

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बाल कहानी: चित्रकार की चतुराई

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दैनिक सन्मार्ग में ‘‘कड़वे सच के साथ विश्वसनीय दस्तावेज: तीखे तेवर’’

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दैनिक सन्मार्ग में 13 फरवरी 2011 को प्रकाशित ‘तीखे तेवर’ पुस्तक की समीक्षा

भयानक प्रतिशोध एक समुद्री जहाज का

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सौन्दर्य पर ग्रहण लगाते हैं पीले दांत

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नेत्रहीनों के लिए ‘बायोनिक आंख’

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हीरोइनें चली निर्माता बनने

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स्वास्थ्य चर्चा: ‘प्रमेह’ को न बनने दें ‘मधुमेह’

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सेहत खबरनामा

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ब्लॉगर बंधुओं, सावधान! लुटा न बैठें अपनी खून-पसीने की कमाई!

पिछले कुछ समय से विभिन्न फर्जी ई-मेल पतों से बहुत सारे लोगों को ऐसी-ऐसी ई-मेल लगातार प्राप्त हो रही हैं, जिनके झांसे में फंसकर कुछ व्यक्ति अपने खून-पसीने की, कड़ी मेहनत की कमाई से जमा की गई पूंजी एक ही झटके में लुटा बैठते हैं लेकिन तब उन पर यही कहावत चरितार्थ होती है ‘अब पछताय होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’। ऐसी ही कुछ फर्जी ई-मेल में जालसाजों द्वारा किसी प्रतिष्ठित कम्पनी में बहुत अच्छे वेतनमान पर नियुक्ति संबंधी ऑफर देते हुए इंटरव्यू हेतु हवाई जहाज की टिकट इत्यादि के प्रबंध के नाम पर किसी बैंक खाते में कुछ रकम जमा कराने को कहा जाता है। ई-मेल को कुछ इस प्रकार से लिखा जाता है कि प्राप्तकर्ता को पूरी तरह से यही आभास हो कि इंटरव्यू के पश्चात् उक्त कम्पनी में उसका सलैक्शन पक्का है। केवल इतना ही नहीं, ई-मेल प्रेषक के रूप में उक्त प्रतिष्ठित कम्पनी का ही नाम लिखा होता है, जिससे ई-मेल प्राप्तकर्ता यह जानकर कि ई-मेल उक्त कम्पनी द्वारा ही भेजी गई है, अक्सर ऐसी ई-मेल के झांसे में आसानी से आ जाते हैं। इसी प्रकार कुछ ई-मेल में बताया जाता है कि आपकी ई-मेल को अमुक राशि (मोटी रकम) के इनाम के लिए

फल-सब्जियां खाएं, याद्दाश्त बढ़ाएं

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा पंजाब केसरी में 8 फरवरी 2011 को प्रकाशित

दो बाल कविताएं

दादा दादी कितने प्यारे दादा दादी, कपड़े पहनें उजले खादी। स्नेह नेह हर पल बरसाते, मना मनाकर खूब खिलाते। हमें सुनाते रोज कहानी, एक था राजा, एक थी रानी। सदा सिखाते अच्छी बातें, मछली मांस कभी ना खाते। हरदम जपते तुलसी माला, नहीं करते कभी धंधा काला। घर पर चलता उनका शासन, कभी न देते कोरा भाषण। (एम सी एन) . रंजन कुमार शर्मा ‘रंजन’ कालूराम मोटा तगड़ा कालूराम, सबका प्यारा भालूराम। ना करता यह छीना झपटी, सादा, सरल, नहीं यह कपटी। रूखा-सूखा इसका भोजन, करता है सबका मनोरंजन। शहर का है यह शौकीन, इसे न भाए कुछ नमकीन। नहीं किसी को कभी सताए, नाच दिखाकर हमें हंसाए। (एम सी एन) . रंजन कुमार शर्मा ‘रंजन’

व्यंग्य : बसंत नहीं रहा अब वह बसंत

--- सुनील कुमार ‘सजल’ (मीडिया केयर नेटवर्क) हम कैलेंडर में बसंत ऋतु के आगमन की तिथि को देखकर बसंत ऋतु पर आधारित कथायें, व्यंग्य, लेख लिखने के लिए कागज-कलम संभालकर मन बना रहे थे कि पत्नी हमारी कार्यशैली पर गुर्राती हुई बोली, ‘‘तुम कुछ भी लिखो, मुझे मंजूर है पर तुम्हारा ‘बसंत’ लेखन मुझे मंजूर नहीं।’’ ‘‘क्यों? बसंत से तुम्हारी क्या दुश्मनी हो गई है?’’ हमने जानना चाहा। ‘‘हां है, बिल्कुल है।’’ पत्नी ने अपने शब्दों में जोर लाते हुए कहा। ‘‘आखिर क्यों है?’’ हमने पुनः प्रश्न किया। ‘‘बसंत ऋतु आते ही तुम कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो जाते हो।’’ पत्नी ने अपना मंतव्य स्पष्ट किया। ‘‘क्या? तो क्या रोमांटिक होना बुरी बात है?’’ हमने पूछा। ‘‘रोमांटिक होना दाम्पत्य जीवन में बुरी बात नहीं है पर तुम्हारा रोमांटिक होना जरूर बुरी बात है।’’ उसने अपने तर्क का पत्ता फैंका। ‘‘हमारे रोमांटिक होने से तुम्हें इतनी नफरत क्यों है?’’ हमने पूछा। ‘‘क्योंकि तुम सीजनल रोमांटिक हो, बाकी समय में तुम्हारा व्यवहार किसी खलनायक से कम नहीं होता।’’ उसने उत्तर दिया। ‘‘मैं और खलनायक ...!’’ ‘‘और नहीं तो क्या? केवल बसंत ऋतु

ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व ‘बसंत पंचमी’

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--- योगेश कुमार गोयल --- माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ‘बसंत पंचमी’ के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाई जाती रही है क्योंकि माना जाता है कि यह दिन बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है और इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है। मान्यता है कि इस दिन शरद ऋतु की विदाई होती है और बसंत ऋतु के आगमन के साथ समस्त प्राणीजगत में नवजीवन एवं नवचेतना का संचार होता है। वातावरण में चहुं ओर मादकता का संचार होने लगता है तथा प्रकृति के सौन्दर्य में निखार आने लगता है। शरद ऋतु में वृक्षों के पुराने पत्ते सूखकर झड़ जाते हैं लेकिन बसंत की शुरूआत के साथ ही पेड़-पौधों पर नई कोंपले फूटने लगती हैं। आमों में बौर आ जाते हैं। चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिल जाते हैं और फूलों की सुगंध से चहुं ओर धरती का वातावरण महकने लगता है। खेतों में गेहूं की सुनहरी बालें, स्वर्ण जैसे दमकते सरसों के पीले फूलों से भरे खेत, पेड़ों की डालियों पर फुदकती कोयल की कुहू-कुहू, फूलों पर भौंरों का गुंजन और रंग-बिरंगी तितलियों की भाग-दौड़, वृक्षों की हरियाली वातावरण में मादकता का ऐसा संचार करते हैं कि उदास से उदास मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। बसंत पंचमी के

शीला की नहीं, अब दिखेगी दीपिका की जवानी!

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चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ाता है गर्भपात की संभावना

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा पंजाब केसरी में 7 फरवरी 2011 को प्रकाशित

दूसरे देश में जाकर अण्डे देती है ‘तेलिया मैना’

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सस्ती दरों पर पुस्तकें प्रकाशित कराने की सुविधा

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लेखक उत्तम क्वालिटी में सस्ती दरों पर अपनी पुस्तकें प्रकाशित कराने हेतु सम्पर्क कर सकते हैं. हमारा ई-मेल पता है:- mediacaregroup@gmail.com सभी पुस्तकों पर ISBN नं. की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. ‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा विभिन्न विषयों पर अभी तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कराया जा चुका है. हिन्दी टाइपिंग / कम्पोजिंग की भी विशेष सुविधा है. लेखक चाहें तो पाण्डुलिपि स्वयं कम्पोज कराकर भेज सकते हैं अन्यथा टाइपिंग / कम्पोजिंग की सुविधा भी उपलब्ध है. पुस्तकों की पब्लिसिटी के लिए हम लेखकों की इच्छानुसार विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी पुस्तकों की समीक्षा के प्रकाशन का प्रबंध कर सकते हैं. पुस्तक प्रकाशन का रेट प्रतियों की संख्या और पुस्तक की पृष्ठ संख्या के आधार पर अलग-अलग होता है. अतः पृष्ठ संख्या और कुल प्रतियों की संख्या मालूम होने पर ही इस संबंध में अधिक जानकारी प्रदान किया जाना संभव है.

बहुपयोगी ‘जावित्री’ एवं ‘जायफल’

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दो सिर वाला ‘एलबिनो गार्टर’ सांप

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कमाल की ‘किस’

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