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गणतंत्र की मूल भावना को कब समझेंगे हम?

- योगेश कुमार गोयल  (मीडिया केयर नेटवर्क) हर साल की भांति एक और गणतंत्र दिवस हमारी चौखट पर दस्तक दे चुका है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह हर राष्ट्रप्रेमी के लिए गर्व का दिन है क्योंकि देश की आजादी के बाद अपना खुद का संविधान बनाकर 26 जनवरी 1950 के दिन इसे लागू कर भारत इसी दिन प्रभुत्ता सम्पन्न सार्वभौमिक प्रजातंत्रात्मक गणराज्य बना था लेकिन यह भी सच है कि तभी से हर वर्ष 26 जनवरी का दिन ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाए जाने की ‘रस्म अदायगी’ ही हो रही है। 26 जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस के रूप मनाने की शुरूआत के पीछे मूल भावना यही थी कि देश का प्रत्येक नागरिक इस दिन संविधान की मर्यादा की रक्षा करने, स्वयं को देशसेवा में समर्पित करने तथा राष्ट्रीय हितों के प्रति आस्था का संकल्प ले, साथ ही इन पर अमल भी करें लेकिन विड़म्बना ही है कि गणतंत्र दिवस तथा स्वतंत्रता दिवस, साल में सिर्फ इन्हीं दो अवसरों पर इस तरह के संकल्पों को याद कर हम अपने कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों की इतिश्री कर लेते हैं। सही मायनों में गणतंत्र की मूल भावना को हमने आज तक नहीं समझा है। ‘गणतंत्र’ का अर्थ है शासन तंत्र

संक्रांति के मोती

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‘लोकमत समाचार’, नागपुर में 12.1.2014 को प्रकाशित

प्रेम व भाईचारे की मिसाल लोहड़ी

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‘पंजाब केसरी’, जालंधर में 13.1.2014 को प्रकाशित

चीखने-चिल्लाने वाली बत्तख

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‘अजीत समाचार’ में 11.1.14 को प्रकाशित

बालों को अंधाधुंध रंगना हो सकता है घातक

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जुड़ें जादू की झप्पी से

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इन्हें भी आजमाकर देखें

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‘मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स’ द्वारा ‘पंजाब केसरी’ में 8.1.14 को प्रकाशित

अपने ही पंख नोच डालता है ‘ग्रेबेस’

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‘अजीत समाचार’ में 4.1.14 को प्रकाशित

विदेशों में कैसे मनाते हैं नव वर्ष?

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‘अजीत समाचार’ में 1 जनवरी 2014 को प्रकाशित