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Showing posts from January, 2011
दैनिक पंजाब केसरी में ‘मीडिया केयर ग्रुप’ का आलेख
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फॉर्मूलों को तोड़ती हिन्दी फिल्में
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प्रस्तुति: मीडिया केयर नेटवर्क ब्यूरो हिन्दी फिल्में अभी तक अमूमन ‘रामायण’ को ही ध्यान में रखकर बनती थी। इस धार्मिक ग्रंथ के प्रति हमारे यहां के लोगों में खास श्रद्धा है। जनमानस की इसी श्रद्धा को भुनाने की गरज से हिन्दी फिल्मों के लेखकों ने प्रायः ऐसी कहानियां लिखी, जिनमें हीरो को आधुनिक राम और विलेन को रावण के रूप में चित्रित किया गया। कहानी में रोमांस डालने की चाहत में उन्होंने हीरोइन को सीता जैसी पत्नी बनाने के पहले आदर्श प्रेमिका के रूप में प्रस्तुत किया, जो अपने भावी जीवनसाथी के हर सुख-दुख की भागीदार बनी। समय बदला और फिर ऐसी भी कहानियां लिखी गई, जिनमें एक ही हीरोइन के पीछे दो हीरो मजनूं बने नजर आए या फिर एक नायक को पाने के लिए दो-दो नायिकाएं लैला बनी दिखी लेकिन इन सभी फिल्मों में एक बात जो कॉमन थी, वो थी फिल्म का सुखांत होना। तीन घंटे की फिल्म में हीरो-हीरोइन को भले ही तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा हो मगर दि एंड के पांच मिनट पहले ही संकेत मिल जाता था कि अब इनके मिलन को कोई नहीं रोक पाएगा। हमारा फिल्मोद्योग यूं ‘महाभारत’ से भी ज्यादा प्रभावित नहीं रहा मगर एक जैसे क्लाइमैक्स स
स्कूल में गुंडागर्दी किया करती थी प्रियंका चोपड़ा
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प्रस्तुति: मीडिया केयर नेटवर्क ब्यूरो अंदाज मैं सफेद पायजामा और चिकन का टॉप पहनना पसंद करती हूं। चूड़ीदार सूट, छोटा कुर्ता और बंद गले के वस्त्र पसंद करती हूं। आमतौर पर रिलेक्स होने के लिए मैं जीन्स पहनती हूं। पार्टियों में जाने के समय मैं ठीक से कपड़े पहनती हूं। मुम्बई का मौसम ऐसा रहता है कि आप कई तरह के वस्त्र पहन सकते हैं। मेरे पसंदीदा रंग महरून, लेवेंडर, काला और सफेद हैं। खानपान मुझे खाना काफी पसंद है। अक्सर मैं अपने परिवार के साथ जुहू स्थित ‘तिआन’ रेस्तरां में जाती हूं। इसके अलावा कई और रेस्तरां भी मुझे पसंद हैं। मेरा भाई भी वहां जाना पसंद करता है। मैं उसके साथ सभी जगह जाना पसंद करती हूं। मैं पक्की मांसाहारी हूं। केवल सोमवार यानी शिवजी के दिन ही मैं शाकाहारी खाना पसंद करती हूं। नहीं तो रायता के साथ हैदराबादी बिरयानी खाना मुझे पसंद है। मुझे घी के साथ खिचड़ी खाना भी पसंद है। मेरे घर में दही के साथ आलू परांठा भी खूब खाया जाता है। नाश्ते में मैं एक अंडा और दो स्लाइस टोस्ट लेती हूं और इसके साथ एक गिलास दूध भी लेती हूं। मैं इस तरह खाती हूं कि कोई यकीन नहीं करेगा। मैं प्रतिदिन 4 घंटे न
कैसे बना भारत का संविधान?
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-- योगेश कुमार गोयल -- ’ सर्वप्रथम सन् 1895 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने यह मांग की थी कि अंग्रेजों के अधीनस्थ भारतवर्ष का संविधान स्वयं भारतीयों द्वारा ही बनाया जाना चाहिए लेकिन तिलक के सहयोगियों द्वारा भारत के लिए स्वराज्य विधेयक के प्रारूप को, जिसमें पहली बार भारत के लिए स्वतंत्र संविधान सभा के गठन की मांग की गई थी, ब्रिटिश सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया था। ’ 1922 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मांग की थी कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। 1924 में पं. मोतीलाल नेहरू ने संविधान सभा के गठन की फिर मांग की लेकिन अंग्रेजों द्वारा उनकी मांग को भी ठुकरा दिया गया। तब से संविधान सभा के गठन की मांग लगातार उठती रही लेकिन अंग्रेजों द्वारा इसे हर बार ठुकराया जाता रहा। ’ 1939 में कांग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि स्वतंत्र देश के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और अंततः 1940 में ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को मान लिया कि भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाया जाए। ’ 1942 में क्रिप्स कमीशन ने अपनी रि
लेखकों के लिए पुस्तक प्रकाशन की विशेष सुविधा
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लेखक बंधु उत्तम क्वालिटी में सस्ती दरों पर अपनी पुस्तकें प्रकाशित कराने हेतु सम्पर्क कर सकते हैं. हमारा ई-मेल पता है:- mediacaregroup@gmail.com पुस्तकों की पब्लिसिटी के लिए हम लेखकों की इच्छानुसार विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी पुस्तकों की समीक्षा के प्रकाशन का प्रबंध कर सकते हैं. पुस्तक प्रकाशन का रेट प्रतियों की संख्या और पुस्तक की पृष्ठ संख्या के आधार पर अलग-अलग होता है. अतः पृष्ठ संख्या और कुल प्रतियों की संख्या मालूम होने पर ही इस संबंध में अधिक जानकारी प्रदान किया जाना संभव है.
कैंसर के इलाज में फल-सब्जियों के रंगों की उपयोगिता
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सावधान! आपके कपड़ों में तो नहीं झांक रहा कोई ‘इन्फ्रारेड कैमरा’
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