धर्म की आड़ में आस्था और विश्वास से छल करते ‘बाबा’


-- योगेश कुमार गोयल --



लगातार 11 दिनों तक देश की कानून व्यवस्था का एक प्रकार से मखौल उड़ाने के बाद तथाकथित ‘संत’ आसाराम बापू आखिरकार कानून के शिकंजे में फंस ही गए। 11 दिनों तक चली उनकी नौटंकी के बाद अंततः आसाराम को गिरफ्तार करने में पुलिस कामयाब हुई। म.प्र. में आसाराम के ही छिंदवाडा आश्रम की नाबालिग लड़की को राजस्थान के जोधपुर स्थित आश्रम में कथित तौर पर हवस का शिकार बनाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद चली आसाराम की नौटंकी, बदजुबानी और एक के बाद एक खुलती उनकी कलई ने उन्हें एक झटके में ईश्वर से शैतान का दर्जा दिला दिया।
वैसे आसाराम पर ऐसे आरोप कोई पहली बार नहीं लगे किन्तु उन पर अक्सर लगते ऐसे आरोपों के खिलाफ कार्रवाई करने की कभी किसी ने कोशिश ही नहीं की, जिसके लिए काफी हद तक हमारी राजनीतिक व्यवस्था को दोषी माना जा सकता है। हैरानी तो तब होती है, जब अनेक मौकों पर गंभीर आरोपों से घिरे होने के बावजूद अंधश्रद्धा से त्रस्त लाखों-करोड़ों लोगों ने इस विवादित संत को हमेशा अपनी सिर-आंखों पर बिठाया।
भारतीय संस्कृति में एक अच्छे और सच्चे संत का दर्जा उसी को दिया जाता है, जो मोह-माया के बंधन से मुक्त होकर सादा जीवन व्यतीत करता हो लेकिन आज के ये तथाकथित संत कितना सादा जीवन व्यतीत करते हैं और मोह-माया के बंधन से कितने परे हैं, यह आईने की तरह साफ है। दरअसल धर्म आज इतना बड़ा बिजनेस बन गया है कि धर्म का आवरण ओढ़कर आज कोई भी स्वयंभू संत बनकर हजारों एकड़ जमीन और बेशुमार सम्पत्ति का मालिक बन जाता है और राजनीतिक तंत्र के साथ-साथ लाखों-करोड़ों लोग पागलों की भांति उसके सामने शीश नवाने लगते हैं। हमारे समाज में आसाराम जैसे ही न जाने कितने संत भरे पड़े हैं, जो धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर न केवल अपनी दुकानें चमका रहे हैं बल्कि अनेक किस्म के अनैतिक कृत्यों में भी लिप्त हैं। समय-समय पर ऐसे तथाकथित संतों की कलई खुलती भी रही है किन्तु आम जनमानस की आंखों पर अंधश्रद्धा की पट्टी इस कदर बंधी रहती हैं कि बार-बार सामने आते ऐसे मामलों के बावजूद लोग ऐसे संतों या बाबाओं के मोहपाश में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं। अक्सर मीडिया के सामने स्वयं को भगवान बताने, अपने लुभावने व भ्रामक विज्ञापनों से लोगों को आकर्षित करने और आस्था की आड़ में अपनी वाकपटुता से लोगों पर ऐसी छाप छोड़ने में इन तथाकथित संतों या बाबाओं को ऐसी महारत हासिल होती है कि एक आम आदमी इन्हें ही अपना सब कुछ मानकर अपना सर्वस्व इन पर न्यौछावर करने को तत्पर हो जाता है।
यहां अहम सवाल यह है कि आखिर ऐसे कौनसे कारण हैं कि आम आदमी बड़ी आसानी से आस्था के इन सौदागरों के हत्थे चढ़ रहा है? दरअसल देश की कमजोर प्रशासन प्रणाली, भ्रष्टाचार, महंगाई और आपराधों ने इस कदर जकड़ लिया है कि आज हर कोई खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। हर किसी का विश्वास अब मौजूदा राज्यतंत्र और राजनेताओं से पूरी तरह से विखंडित हो चुका है। ऐसे में स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा आम आदमी खुद को जहां भी सुरक्षित महसूस करता है, बड़ी सहजता से उसी ओर अग्रसर हो जाता है और इसी ताक में बैठे रहते हैं ये आस्था के व्यापारी, जो भक्ति, विश्वास और लोगों के कल्याण के नाम पर अपना उल्लू सीधा करते हैं। यही कारण है कि बेबस आम आदमी इन पाखंडियों बाबाओं, संतों, साधुओं या बापुओं के शिकंजे में आसानी से फंस जाता है।
कुछ समय पहले एक ऐसे ही ‘संत’ को पुलिस ने धर-दबोचा था, जिसके पास दूर-दूर से श्रद्धालु प्रवचन सुनने के लिए आया करते थे और जिसके ‘भक्तों’ में कई बड़ी पहुंच वाले और बहुत पैसे वाले लोग भी शामिल थे किन्तु इस ‘संत’ की गिरफ्तारी के बाद यह सनसनीखेज खुलासा भी हुआ था कि अपने पैसे वाले भक्तों को वह उनसे मोटी रकम ऐंठकर रंगरलियां मनाने के लिए उनके पास खूबसूरत हसीनाएं भेजा करता था। कहने को तो वह भले ही एक ‘साधु’ था किन्तु वास्तव में वह कितना बड़ा शैतान था, इसका अनुमान इसी से ही लगाया जा सकता है कि पैसे वालों को परोसने के लिए उसने 16 से 30 वर्ष की उम्र की करीब 500 खूबसूरत कमसिन हसीनाओं को अपने जाल में फांस रखा था।
समय-समय पर ऐसे ही न जाने कितने ही ऐसे साधु-सन्यासियों, बाबाओं का भण्डाफोड़ होता ही रहता है लेकिन फिर भी हैरानी की बात यह है कि ऐसे लोगों की सारी पोल-पट्टी खुलने के बाद भी लोगों का ऐसे बाबाओं पर विश्वास कम होने का नाम नहीं लेता।
‘रेशनेलिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया’ नामक संस्था ने कुछ वर्ष पूर्व ‘टोपी वाले बाबा’ नाम से विख्यात एक ठग का भंडाफोड़ किया था, जिसने अम्बाला की पुलिस लाइन में स्थित राधाकृष्ण मंदिर से अपना कारनामा शुरू किया था। उसने जनपद के ‘टागरी पार’ रामपुर सरसेहड़ी रोड़ पर अपना मठ बनाया था और उसके पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लोग उ.प्र., पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के दूरस्थ स्थानों से भी आने लगे थे। इस बाबा से मिलने के लिए ही न्यूनतम फीस 70 रुपये निर्धारित थी। पुलिस में मुंशी रहे इस व्यक्ति को न सिर्फ नौकरी से हाथ धोना पड़ा था बल्कि कुछ वर्ष के लिए जेल की सजा तथा तीस हजार रुपये जुर्माना भी भरना पड़ा था। यही नहीं, इस तथाकथित बाबा पर लड़कियों की खरीद-फरोख्त, दहेज, नारी उत्पीड़न आदि मामलों में भी मुकद्दमे चल रहे हैं। बावजूद इसके ऐसे ‘बाबा’ जनता को गुमराह कर खुद ‘ईश्वर’ बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि ‘ड्रग्स एवं मैजिक रेमेडी एक्ट 1954’ की धारा 21 के तहत तंत्र-मंत्र, भभूति द्वारा किसी भी समस्या के हल या रोग निदान की बात गैर कानूनी है, फिर भी यह आश्चर्य की ही बात है कि ऐसे तमाम अपराधी निरन्तर फल-फूल रहे हैं।
आज देशभर में हमारे सैंकड़ों तथाकथित ‘भगवत अवतारी सद्गुरू’ या ‘महासंत’ हमें भगवान का दर्शन कराने व मोक्ष दिलाने में तो लगे हैं पर रोटी बगैर हम मर जाएं, उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। वे हमें ‘राम’ देंगे, ‘भगवान’ देंगे। ‘यदा यदा हि धर्मस्य ...’ तथा ‘गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु’ को आधार बनाकर ये हमारे ‘स्वामी’ बनते हैं। ‘काम कांचन’ को जनता के लिए ‘मारक’ साबित करके इसे खुद के लिए ‘तारक’ बनाते हैं किन्तु ‘महासंत’ होने और ‘ईश्वर’ का दर्शन कराने का दावा करने के बावजूद स्वयं मोह-माया के बंधन में बुरी तरह जकड़े रहते हैं और अनैतिक कृत्यों में लिप्त रहते हैं।
जनता को हमेशा ‘एकता’ का संदेश देने वाले ये ‘संत’ सदैव एक-दूसरे का विरोध करते नजर आते हैं। तमाम झूठे दृष्टांतों के जरिये जनता को फांसने की कोशिश में लगे रहते हैं। आये दिन इनके यहां शिष्याओं के यौन शोषण या उनके गायब होने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। देखा जाए तो इनकी चल-अचल सम्पत्ति अरबों-खरबों में होती है। पैसे की पावर व राजनीतिक कृपादृष्टि के चलते कानून भी अक्सर इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। हां, जनता जरूर बिगाड़ सकती है पर जनता तो बेचारी खुद ...!
देश में मुट्ठी भर अभिजात्य वर्ग की अमीरी का पहाड़ ऊंचा होता जा रहा है और शेष पूरे भारत में गरीबी की खाई और गहरी होती जा रही है। लोगों के सामने रोटी, कपड़ा और मकान तथा दवा-दारू की जटिल समस्या आज भी है। माताएं अपना जिस्म, अपनी संतानें तक बेचती हैं। ‘असुरक्षा’ अहम समस्या हो गई है। आतंक-उग्रवाद कब किसकी जिंदगी छीन ले, कुछ पता नहीं लेकिन इन तमाम जटिल समस्याओं पर क्या कभी किसी भी प्रवचनकारी की जुबान खुलती है? रिश्वत आज ‘राष्ट्रधर्म’ बन रहा है। न्यस्थ स्वार्थ के लिए देश का हरसंभव अहित नेतृत्वकर्ता कर रहे हैं। देश पर विदेशी कम्पनियों के शिकंजे कस रहे हैं मगर आज के हमारे इन तथाकथित भगवत अवतारी सद्गुरूओं या संतों में न तो गुरू नानक देव या समर्थ गुरू रामदास जैसा साहस है और न ही स्वामी दयानन्द सरस्वती अथवा विवेकानन्द जैसा जज्बा।
‘नर पूजा-नारायण पूजा’ एवं ‘संहार नहीं, श्रृंगार करो’ को आधार बनाकर छल करते कथित संत-महात्माओं का सच आज सभी के सामने है। पलायनवादी दूषित मनोवृत्ति वाले ये साधु-साध्वियां जनता को डरपोक, कायर व जुर्म सहने वाली बना रहे हैं। परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व आज कितनी ही विकट समस्याओं की विभीषिका में जल रहे हैं और इन कथित संत-महात्माओं के चक्कर में पड़कर हम ‘जो कुछ हो रहा है, अच्छा हो रहा है, भगवान की यही मर्जी है’ मानकर अपने दरवाजे बंद किए स्वयं को बेहतर महसूस कर रहे हैं। प्रवचनकर्ता जीवन के यथार्थ से आंखें बंद किए बोलते हैं और श्रोता आंख-कान बंद किए उसे ग्रहण करने का नाटक करते हैं। उन्हें चढ़ावा मिलता है, उनकी वासना तृप्त होती है, बाकी कुछ नहीं होता। (एम सी एन)
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं तीन फीचर एजेंसियों के समूह ‘मीडिया केयर ग्रुप’ के प्रधान सम्पादक हैं)

Comments

amit said…
जयपुर की इसाई संस्था \"ग्रेस होम\" से 15 मणिपुरी लडकियाँ छुड़ाई गई हैं ।इन सबके साथ यौन शोषण हुआ है। लड़कियों की उम्र सिर्फ 7 से 15 के बीच है ।
जब लड़कियों का मेडिकल करवाया गया तो पता चला कि 15 में से 13 का कौमार्य भंग किया जा चुका है और 13 में से 9 लड़कियों को ल्यूकोरिया नामक रोग से ग्रसित पाया गया जो कि सेक्स की अधिकता या सेक्स वर्करोँ में होता है ।
एक डॉक्टर ने जो इनकी देखभाल कर रही है उसने बताया
इन लड़कियों को अँधेरे कमरे में रखा गया था जिससे इनमें विटामिन डी की कमी हो गई है जब इन्हे बाहर निकाला गया तो हाथ पैर कांप रहे थे । अभी इनको विटामिन डी की गोलियाँ दी जा रही हैं ।
पुलिस की गिरफ्त में संस्था का मालिक पॉस्टर जैकब जॉन आया है जो कि एक पादरी है ।
यह खबर केवल इंडियन एक्सप्रेस में छपी है और इसे किसी मीडिया चैनल ने एक मिनट के लिए भी नहीं दिखाया क्योंकि मामला ईसाई संस्था का था किसी हिंदू संत का होता तो आशाराम की तरह हर रोज डिबेट करवाते ।
amit said…
जयपुर की इसाई संस्था \"ग्रेस होम\" से 15 मणिपुरी लडकियाँ छुड़ाई गई हैं ।इन सबके साथ यौन शोषण हुआ है। लड़कियों की उम्र सिर्फ 7 से 15 के बीच है ।
जब लड़कियों का मेडिकल करवाया गया तो पता चला कि 15 में से 13 का कौमार्य भंग किया जा चुका है और 13 में से 9 लड़कियों को ल्यूकोरिया नामक रोग से ग्रसित पाया गया जो कि सेक्स की अधिकता या सेक्स वर्करोँ में होता है ।
एक डॉक्टर ने जो इनकी देखभाल कर रही है उसने बताया
इन लड़कियों को अँधेरे कमरे में रखा गया था जिससे इनमें विटामिन डी की कमी हो गई है जब इन्हे बाहर निकाला गया तो हाथ पैर कांप रहे थे । अभी इनको विटामिन डी की गोलियाँ दी जा रही हैं ।
पुलिस की गिरफ्त में संस्था का मालिक पॉस्टर जैकब जॉन आया है जो कि एक पादरी है ।
यह खबर केवल इंडियन एक्सप्रेस में छपी है और इसे किसी मीडिया चैनल ने एक मिनट के लिए भी नहीं दिखाया क्योंकि मामला ईसाई संस्था का था किसी हिंदू संत का होता तो आशाराम की तरह हर रोज डिबेट करवाते ।
Anonymous said…
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} 22/09/2013 को जिंदगी की नई शुरूवात..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल – अंकः008 पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें। सादर ....ललित चाहार
वर्त्तमान में उत्पन्न समस्याओं पर बढ़िया लेख
आशा
richa shukla said…
वर्तमान की ये सब से बड़ी विडम्बना है कि लोग भेद चल चलते है.. इस विकसित समाज में आज भी अन्धविश्वास ऐसा फेला है जिसका ये बाबा लोग फायदा उठा रहे हैं..
prathamprayaas.blogspot.in-

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