जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया-46





. योगेश कुमार गोयल (मीडिया केयर नेटवर्क)


दुबला-पतला 12 फुट लंबा जहरीला सांप ‘बुशमास्टर’
मध्य अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय स्थानों में पाया जाने वाला पिट वाइपर समूह का ‘बुशमास्टर’ सांप बेहद विषैला सांप है, जिसका संबंध रैटल स्नैक से भी है। बिल्कुल दुबला-पतला यह सांप 12 फुट तक लंबा होता है, जिसके विषदंत की लम्बाई भी एक इंच तक होती है। मादा बुशमास्टर एक बार में 12 तक अण्डे देती है। बुशमास्टर के शरीर का पिछला भाग लाल या पीला होता है, जिस पर तिरछे गहरे बांड भी होते हैं और आंख से लेकर मुंह तक एक लंबी लकीर भी होती है। (एम सी एन)
दरियाई घोड़ा: जिसके शरीर से निकलता है गुलाबी पसीना अपने वैज्ञानिक नाम ‘हिप्पोपोटेमस’ के नाम से जाना जाने वाला दरियाई घोड़ा हाथी तथा गैंडे के बाद धरती पर सबसे बड़ा जीव है लेकिन इस जानवर की हैरानी में डालने वाली सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एकमात्र ऐसा जानवर है, जिसके शरीर से गुलाबी पसीना निकलता है। दरियाई घोड़े प्रायः 6 से 10 फुट तक लंबे होते हैं किन्तु कांगो के घने जंगलों में 10 से 14 फुट लंबे दरियाई घोड़े भी देखे जा सकते हैं। व्यस्क दरियाई घोड़े का वजन तकरीबन 3500 पौंड होता है। अपने भारी-भरकम शरीर के बावजूद दरियाई घोड़ा 30 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ लगाने में सक्षम होता है। यह जानवर हर मौसम में ठंडे पानी से भरे दरिया में रहना पसंद करता है किन्तु भोजन के लिए यह जमीन पर आता है। घास-फूस, पेड़-पौधों या झाड़ियों के हरे पत्ते तथा जंगली साग-सब्जियां इसका पसंदीदा भोजन हैं। यह एक शाकाहारी जानवर है, जो देर रात को ही भोजन की तलाश में निकलता है और एक रात में करीब 200 पौंड घास व हरी पत्तियां चर जाता है। मादा दरियाई घोड़ा शिशु को 8 माह तक गर्भ में रखती है। नवजात शिशु इतना हृष्ट-पुष्ट एवं शक्तिशाली होता है कि जन्म लेते ही अपनी मां की नकल कर दौड़ने व पानी में तैरने लगता है। (एम सी एन)
दूसरी चिड़ियों की आवाज की नकल कर लेती है ‘अकेंथिजा पुसिल्ला’ चिड़िया
लेटिन अकेंथिजा पुसिल्ला के नाम से जानी जाने वाली चिड़िया संकट के समय कई अन्य प्रजाति की चिड़ियों की नकल करने में सक्षम होती है। सिर्फ आस्ट्रेलिया में ही पाई जाने वाली यह नन्हीं चिड़िया आवाज बदलने की विचित्र क्षमता तथा अपनी फुर्ती के कारण ही जानी जाती है। यह इतनी तेज गति से उड़ती है कि पलक झपकते ही नजरों से ओझल हो जाती है और पलभर में इसे सही प्रकार से देख पाना संभव नहीं होता। भोजन की तलाश में यह अन्य प्रजाति की चिड़ियों के साथ ही उड़ान भरती है किन्तु इसकी एक और खासियत यह भी है कि भोजन की तलाश में भी इसका विस्तार क्षेत्र सीमित ही रहता है। यह चिड़िया प्रायः पेड़ों तथा झाड़ियों की पत्तियों पर कीड़े-मकौड़ों की तलाश में फुदकती रहती है किन्तु किसी भी स्थान पर कुछ पल के लिए ही रूकती है। इस चिड़िया का घोंसला गुंबदनुमा होता है, जिसके शीर्ष पर एक ओर छिद्रनुमा प्रवेश द्वार होता है। मादा अकेंथिजा पुसिल्ला अपने इस घोंसले में एक बार में प्रायः तीन अण्डे ही देती है मगर कई बार कोयल भी अपना एक अण्डा चुपके से इसके घोंसले में छोड़ जाती है, जिसे मादा पुसिल्ला अपना अण्डा समझकर सेती रहती है। (एम सी एन)

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