क्या ऐसे ही होते हैं ‘संत’?

‘दिल्ली रेप कांड’ पर अपनी बेहद बचकानी प्रतिक्रिया को लेकर चौतरफा आलोचना झेलने के बाद गत दिनों विश्वविख्यात ‘संत’ (?) आसाराम बापू ने बौखलाहट भरा बयान दिया। उन्होंने कहा,
"मैं हाथी, विरोधी भौंकने वाले कुत्ते ...!"

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि :-

क्या यही है ‘संत वाणी’?

क्या ऐसे ही होते हैं ‘संत’?

क्या ऐसे ‘संत’ ही इस देश का दुर्भाग्य नहीं हैं ...?

आप इस बारे में क्या कहेंगे...?

Comments

Sunil Kumar said…
सही कहा आपने, आपसे सहमत.....
इन बाबानुमा लोगों को कथनी करनी के हिसाब से संत कहना बेमानी ही होगा । अच्छा हुआ जो इस बहाने इनकी असलियत सामने आ गई , यदि थोडा और इन्हें बौखला दिया जाता तो इनकी फ़ितरत और उजागर हो जाती

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