जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया - 47

- योगेश कुमार गोयल

(मीडिया केयर नेटवर्क)

सर्वाधिक रहस्यमयी, सर्वाधिक सुंदर कलाबाज बंदर ‘गिबन्स’

दक्षिण एशिया तथा ईस्टइंडीज के समशीतोष्ण जंगलों में पाए जाने वाले ‘गिबन्स’ नामक बंदर वानर प्रजाति में सर्वाधिक रहस्यमयी तथा सर्वाधिक सुंदर बंदर माने जाते हैं। भारत में असम के अलावा बांग्लादेश, उत्तरी म्यामा (बर्मा) तथा चीन के कुछ हिस्सों में भी हुलाक गिबन्स पाए जाते हैं। गिबन्स को रहस्यमयी वानर तो माना ही जाता है, यह वानर प्रजाति में सबसे कुशल कलाबाज भी हैं। ये वानर तरह-तरह की आवाजें निकालने में सक्षम होते हैं तथा पेड़ों के बीच से सुगमता एवं शक्तिपूर्वक झूल जाने की अपनी क्षमता के कारण भी दुनियाभर में विख्यात हैं। ये एक हाथ से पेड़ की एक डाली पकड़कर झूलते हुए दूसरी डाली पर पहुंच जाते हैं और कई बार इनकी यह छलांग आठ से दस मीटर लंबी होती है।
गिबन्स अपनी लंबी बांहों के कारण भी जाने जाते हैं। दरअसल इनकी बांहें इतनी लंबी होती हैं कि जब ये खड़े होते हैं, तब इनकी बांहों की उंगलियां जमीन को छूती हैं। इनकी भुजाएं मनुष्य की भुजाओं से लगभग दुगुनी लंबी होती हैं। अपनी लंबी बांहों से इन्हें अपने बहुत से कार्यों में काफी मदद मिलती है। लंबी उंगलियों के कारण ही एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक झूलकर जाते समय इन्हें काफी मदद मिलती है। गिबन्स हवा में काफी करतब दिखाते हैं, इसी कारण इन्हें कुशल कलाबाज के रूप में भी जाना जाता है।

गिबन्स काफी शर्मीले होते हैं तथा घने जंगलों में रहते हैं। इसलिए मनुष्यों का इन तक पहुंच पाना बहुत कठिन होता है। यही कारण है कि वानरों की इस प्रजाति के बारे में जानकारी सीमित ही है। वैसे मनुष्यों की भांति गिबन्स भी एक परिवार के रूप में ही रहते हैं। इनके शरीर पर घने बाल होते हैं। आकार और शक्ल-सूरत में गिबन्स एक जैसे ही होते हैं। नर और मादा हुलाक गिबन्स जन्म के समय काले होते हैं मगर व्यस्क होते-होते मादा हुलाक गिबन्स का रंग भूरा हो जाता है। फूल, पत्ते, कीड़े-मकौड़े तथा उनके अंडे गिबन्स का पसंदीदा आहार हैं और अपना करीब 60 फीसदी समय ये आहार सेवन में ही बिताते हैं। (एम सी एन)

इंसानों को शहद का पता बताता है ‘हनीगाइड’

‘हनीगाइड’ का नाम सुनकर लोग प्रायः इस भ्रम में पड़ जाते हैं कि शायद यह पक्षी शहद का लोभी है यानी इसे शहद ज्यादा पसंद है, इसीलिए इसे ‘हनीगाइड’ के नाम से जाना जाता है किन्तु हकीकत यह है कि यह पक्षी स्वयं मनुष्यों को शहद का पता बताता है और इसके लिए यह उन्हें खुद मधुमक्खियों के छत्तों तक पहुंचने का मार्ग बतलाता है। यह काम यह पक्षी निस्वार्थ भाव से हरगिज नहीं करता बल्कि इसके पीछे हनीगाइड का यह स्वार्थ होता है कि इसे मधुमक्खियों के अण्डे बहुत स्वादिष्ट लगते हैं लेकिन जब तक छत्ते में मधुमक्खियां मौजूद होती हैं, इसकी दाल नहीं गलती। दरअसल हनीगाइड को मधुमक्खियों के डंकों से बहुत भय लगता है लेकिन इसके लिए यह बड़ी समझदारी से चाल चलता है।
हनीगाइड जब किसी इंसान को उस ओर जाते देखता है, जहां मधुमक्खियों का कोई छत्ता हो तो यह चीख-चीखकर उसका ध्यान उस ओर आकर्षित करने की कोशिश करता है किन्तु तब भी उस व्यक्ति का ध्यान उस ओर न जाए तो यह उसकी ओर उड़-उड़कर बरबस ही उसका ध्यान आकृष्ट करता है और जब इसे यकीन हो जाता है कि वह व्यक्ति उसी के पीछे-पीछे आ रहा है तो यह उसे सीधे शहद के छत्ते तक ले जाता है। बस, फिर इसे कुछ करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि वह व्यक्ति छत्ता तोड़कर उसमें से शहद निकाल लेता है और उसके बाद छत्ते में छिपे अंडों को ‘हनीगाइड’ चट कर जाता है। चूंकि यह एक गाइड की भांति मनुष्यों को शहद का पता बताता है, इसीलिए इसे ‘हनीगाइड’ के नाम से जाना जाता है। (एम सी एन)

Comments

prashantpatil said…
Your blog is nice. But I think you need to change background color to light since it's very straining on eyes
प्रशांत जी,
सुझाव के लिए धन्यवाद.

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