गूंगी-बहरी-अंधी मायावती सरकार के लिए

 

मेरी मां यूपी के गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में पूरी रात बंधक बनाकर रखी गईं. साथ में विकलांग चाची को भी रखा गया. चाची की बहू को भी. इन लोगों ने थाने के अंदर मीडियाकर्मियों को अपना बयान दिया. इसमें सब कुछ बताया. इसमें साफ-साफ बताया कि पुलिस ने घर में किसी पुरुष को न पाकर इन लोगों को जबरन गाड़ी में बिठा लिया. कई घंटे इधर-उधर घुमाने के बाद थाने में लाकर डाल दिया. ये यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि किस तरह उत्तर प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो चुकी है और किसी परिवार के आत्मसम्मान और इज्जत कौ रौंदने पर आमादा है. क्या इन प्रमाणों के बाद भी यूपी सरकार को कोई सुबूत चाहिए? लेकिन मायावती सत्ता के मद में चूर हैं. मायावती सरकार गूंगी-बहरी और अंधी हो चुकी है. उनके अफसर बुद्धि और विवेक हीन प्यादों की तरह कुर्सियां पर आसीन हैं और जी सर जी सर करते हुए लोकतंत्र की आत्मा के साथ बलात्कार कर रहे हैं.
मेरी इस निजी लड़ाई, जिसे मैं खुद निजी नहीं मानता क्योंकि कल तक यह सब दूसरों के घरों में हुआ करता था, आज मेरे घर में हुआ है और परसों आपके भी घर में हो सकता है, में जो साथी अपना समर्थन और सहयोग दे रहे हैं, उनका मैं आभार व्यक्त करूंगा तो शायद यह औपचारिकता होगी और उनके सहयोग की तौहीन होगी. मेरी इच्छा इस मसले को आगे बढ़ाने की है ताकि दोषी पुलिसकर्मियों, पुलिस अधिकारियों और सत्ताधीशों को सजा मिल सके, सबक मिल सके. मुझे कुछ ऐसे लोग चाहिए जो इस मुद्दे को खुद के स्तर से उन सभी जगहों तक पहुंचा सकें जहां जहां न्याय देने-दिलाने के दावे किये जाते हैं. मैं वेब मीडिया और प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया के सभी साथियों से अनुरोध कर रहा हूं कि वे इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएं. खासकर लखनऊ व दिल्ली की मीडिया के साथी इस मुद्दे को एक अभियान के तौर पर लें, इसे प्रचारित-प्रसारित करें ताकि इस प्रकरण की आवाज हर कहीं पहुंचे और न्याय की इस मुहिम को गति मिल सके. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, इसी कारण आप लोगों के साथ की दरकार है.

-- यशवंत
एडिटर, भड़ास4मीडिया

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