क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?


विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट पर यकीन करें तो सन् 2020 तक भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 70 लाख तक हो जाएगी। अमेरिका के ‘फिजिशियन्स कमिटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसन’ (पीसीआरएम) के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष करीब 30 लाख लोग हार्ट अटैक के शिकार होते हैं, जिसके लिए वे स्वयं ही जिम्मेदार होते हैं।

एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व के अन्य लोगों की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग की दर काफी ज्यादा पाई जाती है। भारतीयों में हृदय रोग की संभावना अमेरिकियों, यूरोपियनों, चीनियों तथा जापानियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक पाई जाती है। इस अध्ययन के मुताबिक भारतीयों में मांस-मछली, अण्डा, घी, दूध, आलू चिप्स, दही तथा अन्य वसायुक्त भोजन की अधिकता हार्ट अटैक की संभावनाओं को बढ़ाती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मांस, अंडे और डेयरी पदार्थों में पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैट और भोज्य सामग्री में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल शरीर में स्ट्रोक्स, मधुमेह तथा अन्य कई प्रकार के कैंसर के खतरे के साथ-साथ हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ाते हैं। मैसाच्युएट्स में हुए एक अध्ययन के अनुसार दैनिक खुराक में प्रत्येक 100 मि.ग्रा. कोलेस्ट्रॉल या मांस अथवा मुर्गी की एक बार में ली जाने वाली औसत मात्रा किसी भी व्यक्ति के कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रूप से 5 प्वाइंट तक बढ़ा देती है।

विश्व प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डा. डीन ऑर्निश के मुताबिक शाकाहरी बनने से हृदय चुस्त और फुर्तीला रहता है और कम वसा वाली शाकाहारी खुराक के साथ तनाव घटाने वाली तकनीकों को अपनाने से धमनियों को सख्त होने से रोका जा सकता है।
 
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल

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