जीव-जंतुओं की अनोखी दुनिया


काला कोट और सफेद कमीज पहने अनोखा समुद्री पक्षी पेंग्विन

ठंडे इलाकों में रहने वाले समुद्री पक्षी पेंग्विन की यूं तो दुनिया भर में इस समय 17 प्रजातियां हैं पर सभी में एक समानता यह है कि ये सीधे खड़े होते हैं और चपटे पैरों से चलते हैं। छोटे-छोटे परों से ढ़का इनका बदन ऐसा लगता है जैसे इन्होंने पीछे काला कोट और आगे सफेद कमीज पहन रखी हो। हालांकि पेंग्विन्स के प्राचीन अवशेषों से यह जानकारी मिलती है कि प्राचीन समय में पेंग्विन की ऊंचाई खड़े होने पर 70-72 इंच तक होती थी मगर अब सबसे बड़े आकार वाले पेंग्विन्स की ऊंचाई अधिकतम 44-45 इंच तक ही मिलती है जबकि सबसे छोटे पेंग्विन्स की ऊंचाई 16 इंच के करीब होती है। सबसे बड़े पेंग्विन ‘एम्पेर्र पैंग्यून्स’ प्रजाति के हैं, जिनका वजन 27 से 42 किलो तक होता है जबकि सबसे छोटी प्रजाति ‘फेरी पैंग्यून्स’ है, जिनका वजन करीब एक किलो होता है। पेंग्विन्स भूमध्य रेखा के बर्फीले पानी में ही जीवन बिताते हैं। 75 फीसदी पेंग्विन्स समुद्र के किनारों पर ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ये दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका, न्यूजीलैंड, पेरू, दक्षिण आस्ट्रेलिया तथा दक्षिण ब्राजील में ही बहुतायत में देखने को मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में पेंग्विन्स उड़ भी सकते थे लेकिन अब इनके दोनों पंख सिर्फ इनके तैरने में ही सहायक हैं, उड़ने में नहीं। वैसे पेंग्विन अच्छे तैराक होने के साथ-साथ अच्छे गोताखोर भी होते हैं। चूंकि पेंग्विन बर्फीले पानी में ही रहते हैं, इसलिए प्रकृति ने इनके शरीर पर फैट की मोटी चादर विकसित की है, जिससे ये बर्फीली ठंड का आसानी से मुकाबला कर सके लेकिन फैट की यही मोटी चादर अब इनकी दुश्मन बनने लगी है क्योंकि इसी फैट के लिए पेंग्विन्स का शिकार बड़ी तादाद में होने लगा है, जिससे इनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है।

खेलप्रिय प्राणी है ‘ऑटर’

‘ऑटर’ है तो लकड़बग्घे और बिज्जू की प्रजाति का प्राणी किन्तु लकड़बग्घे, बिज्जू और ‘ऑटर’ में भिन्नता यह है कि जहां ये दोनों प्राणी जमीन पर रहते हैं, वहीं ऑटर ने खुद को जलीय वातावरण के अनुरूप ढ़ाल लिया है और अब जलीय वातावरण में ही रहता है। ऑटर कुछ और नहीं बल्कि जलबिलाव है, जो मेंढ़क, छोटे चूहों और जलीय पक्षियों का शिकार करता है। आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा ध््राुवीय क्षेत्रों को छोड़कर ऑटर विश्व भर में हर जगह पाए जाते हैं। दुनिया भर में जलबिलाव की कुल 19 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से केवल एक ही विशेष रूप से जलीय प्राणी है, जिसे समुद्रीय ऊदबिलाव कहते हैं। भारत में मुलायम बालों वाले, सामान्य और पंजे रहित ऑटर पाए जाते हैं, जो सबसे छोटी प्रजाति के जलबिलाव होते हैं। इनका शरीर सिर्फ 20-22 इंच लंबा होता है। ऑटर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक खेलप्रिय प्राणी भी है, जिसे तरह-तरह के खेल खेलना बहुत अच्छा लगता है। ये अक्सर कीचड़ से बने किनारों को गिराते और बर्फ में सुरंगे बनाते हुए खेलते देखे जा सकते हैं।

खरगोश और हिरण का मिला-जुला रूप ‘अगौटी’

वेस्टइंडीज तथा दक्षिण व मध्य अमेरिका में पाया जाने वाला ‘अगौटी’ खरगोश और हिरण का मिला-जुला जीव लगता है, जिसके कान छोटे-छोटे होते हैं और लालिमा लिए हुए भूरी फर होती है। यह एक निशाचर और शर्मीला जीव है, जो मनुष्यों के रिहायशी इलाकों से दूर रहना पसंद करता है। अगौटी प्रायः छोटे समूहों में विचरते हैं और इनकी एक विशेष आदत यह होती है कि जब भी इन्हें आसानी से भोजन उपलब्ध होता है, ये अपने बिलों में भोजन इकट्ठा करते रहते हैं। पत्ते, जड़ें तथा फल इनका पसंदीदा भोजन है। अगौटी के अगले दांत काफी मजबूत होते हैं, जिनसे ये कठोर फलों की छालों को भी सरलता से तोड़ लेते हैं। इनकी टांगें पतली किन्तु लंबी होती हैं, जिनकी बदौलत ये बहुत तेज दौड़ सकते हैं। पिछले पैरों के पंजे बड़े तथा मजबूत होते हैं, जो उछलने में इनकी मदद करते हैें। खतरा भांपते ही अगौटी तेजी से भागकर छिप जाता है तथा खतरे की स्थिति में उसके पुट्ठों पर पीलापन झलकने लगता है, जिससे समूह के अन्य सदस्य भी सचेत हो जाते हैं। मादा अगौटी हर मौसम में 2-4 बच्चों को जन्म देती है।
 
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल

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