आई रे, आई रे, होली आई रे



. जौली अंकल (मीडिया केयर नेटवर्क)

होली

गिले-शिकवे मिटाने का त्यौहार है, होली

मिलने-मिलाने का त्यौहार है,

जो खुद को

होली के रंगो में नही रंगता,

उसका तो जीवन ही बेकार है।

नत्थूराम जी ने अपनी पत्नी को प्यार से समझाते हुए कहा कि गली-मुहल्ले के सभी बच्चे होली खेल रहे है तो अपने चिन्टू को भी होली खेलने दो। उनकी पत्नी ने न आव देखा न ताव और चिल्लाते हुए बोली, ‘‘आप तो चुप ही रहो तो अच्छा है। तुम क्या जानो कि मुझे इसके होली खेलने से कितनी दिक्कत होती है?’’

नत्थूराम जी ने हैरान होते हुए पूछा, ‘‘ंिचन्टू के होली खेलने से भला तुम्हें क्या परेशानी हो सकती है?’’

‘‘आप कुछ नहीं जानते, पिछले साल जब यह होली खेलकर आया था तो मुझे कम से कम 10 बच्चों को नहलाकर यह अपना चिन्टू मिला था।’’

एक तरफ जहां होली का त्यौहार हम सभी के लिए ढ़ेरों खुशियां लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी गलतियों के कारण इस पवित्र त्यौहार में रंग में भंग डाल देते हैं। होली का त्यौहार आज न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी बड़ी खुशी, प्रेम, प्यार व सद्भावनापूर्ण तरीके से मनाया जाता है। यह त्यौहार हमेशा आपसी भाईचारा, मैत्री, सद्भावना और एकता बनाए रखने का संदेश देता आया है। इस अवसर पर लोग अक्सर पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं।

होली का नाम सुनते ही हर किसी के चेहरे पर एक मंद सी शरारत भरी मुस्कान आ जाती है। बसंत के मौसम में ढ़ोल, नगाड़ों और रंगों के इस बहुत ही पुराने त्यौहार की धूम सारे देश में देखने लायक होती है। इस त्यौहार के साथ बहुत सी प्रथाएं और कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। सबसे लोकप्रिय और प्रचलित कहानी होलिका दहन की मानी जाती है। भगत प्रह्लाद को उसकी बहन होलिका द्वारा आग से बचाने की खुशी में इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।

भगवान कृष्ण एवं राधिका के अनेक किस्से-कहानियां भी इस त्यौहार से जुड़े हुए हैं। देश के कई हिस्सांे में इस मौके पर मंदिरों को बहुत ही खूबसूरती से सजाकर भजन-कीर्तन का भव्य आयोजन भी किया जाता है। राधा के जन्म स्थान मथुरा के नजदीक बरसाना की होली तो सदा ही हम सब के लिए कुछ खास होती है। यहां होली अत्यधिक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है। नंद गांव के सभी लड़के बरसाना की लड़कियों के साथ होली मनाने आते हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि यहां पर इन सभी का स्वागत रंग और गुलाल के साथ बड़े-बड़े डंडों से भी किया जाता है। यह होली लट्ठमार होली के नाम से भी खासी प्रसिद्ध है। यह सारा माहौल उस समय और भी रंगीन हो जाता है, जब कोई मर्द डंडों की मार से डरकर अपनी हार मान लेता है, उस समय सभी लड़कियां उसे औरतों के कपड़े पहनाकर सभी लोगों के बीच में नृत्य करने की सजा देती हैं।

हर कोई गुलाल और पिचकारियों से एक दूसरे के ऊपर अधिक से अधिक रंग डालने की फिराक में रहता है। युवा प्रेमी तो आपस में होली खेलने का महीनों पहले से ही बेसब्री से इंतजार करते है। टोलियां बनाकर रंग के साथ-साथ वो अपना प्यार भी एक दूसरे पर लुटाते दिखाई देते हैं। हर किसी की जुबां पर बस एक ही बात होती है कि बुरा मत मानो होली है। इसके बाद सभी लोग हलवा, पूरी और गुझियां से एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हुए एक दूसरे के गले मिलते हैं।

इतना सब कुछ होते हुए भी अक्सर इस त्यौहार पर कुछ लोग कुछ बातों को लेकर आपस में अत्यधिक नाराज हो जाते हैं। उसका कारण यह है कि कुछ लोग मस्ती के मूड में गलत किस्म के रंग एक दूसरे के चेहरे पर लगा देते हैं। यहां तक कि कई बार तो एक दूसरे के ऊपर कीचड़ तक डाल दिया जाता है, जिससे होली खेलने वालों के चेहरे और आखों पर बुरा असर पड़ता है। कुछ रंगों की प्रतिक्रिया होने के कारण हमारी चमड़ी सदा के लिए बदसूरत हो जाती है। समाज के चंद शरारती तत्व ऐसे मौके पर खुलकर भांग और अन्य कई प्रकार के नशे करने से भी नहीं चूकते, जिससे इस पवित्र त्यौहार का सारा महौल खराब होने का भय बना रहता है।

होली के मधुर-मिलन और प्यार के इस मौके पर हम तो भगवान से आप सभी के लिए यही दुआ मांगते है कि:-

रंगों के त्यौहार में,

सभी रंगों की हो बहार,

ढ़ेरांे खुशियों से,

भरा रहे आपका घर-संसार।

यही दुआ है हमारी उस मालिक से,

बार-बार, बार-बार, लाखों बार। (एम सी एन)

Comments

vandana gupta said…
आपको और आपके पूरे परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
वंदना जी,
आपको भी होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.

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