रंग बिरंगी दुनिया


बेतुके शोधों पर भी एक शोध

पश्चिमी देशों में हर साल विभिन्न विषयों से संबंधित सैंकड़ों शोध किए जाते हैं। आए दिन कोई न कोई नया शोध होता है, जिनमें से कई शोध तो ऐसे भी होते हैं, जिनका कोई सिर-पैर नहीं होता। मजे की बात यह है कि आए दिन होने वाले इन शोधों पर ही लंदन में एक शोध किया गया, जिसमें पाया गया कि तरह-तरह की बातों को लेकर किए जाने वाले इन बेतुके शोधों पर लाखों-करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए जाते हैं, जिनका नतीजा कुछ नहीं निकलता।

शोधकर्ताओं के मुताबिक बेतुकी बातों पर किए जाने वाले इन शोधों पर अनाप-शनाप खर्च किया जाता है। लंदन की ‘बाईजेयर’ नामक पत्रिका द्वारा रिसर्च प्रोजेक्टों पर कराए गए इस अनोखे शोध से पता चला कि सिर्फ ब्रिटेन में ही बहुत से हास्यास्पद विषयों पर किए जाने वाले शोधों पर हर साल लाखों पौंड बर्बाद कर दिए जाते हैं।

बिजली की चोरी पकड़ी गई 60 साल बाद

भारत में तो आज लगभग हर गली-मुहल्ले में बिजली चोरी की घटनाएं होती ही हैं और बिजली विभाग लाख कोशिशों के बाद भी बिजली चोरों पर लगाम कसने में नाकामयाब ही रहता है क्योंकि बिजली चोरी के अधिकांश मामलों में बिजली विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बिजली चोरी की समस्या अकेले भारत की ही समस्या हो बल्कि विकसित देश भी अपने तमाम महंगे एवं अत्याधुनिक तामझाम के बावजूद इस समस्या से त्रस्त हैं।

न्यूयार्क में कुछ समय पहले पकड़ी गई बिजली चोरी की एक वारदात से तो इस बात का स्पष्ट प्रमाण भी मिला कि पश्चिमी देशों में बिजली चोरी की वारदातें कई दशकों पहले से हो रही हैं। यह बात उस समय उजागर हुई, जब लगातार 60 वर्षों से बिजली की चोरी कर रहे एक 91 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति को उसी के द्वारा की गई शिकायत के कारण पकड़ा गया। हालांकि इस व्यक्ति ने अपने ही द्वारा की जा रही बिजली की चोरी की शिकायत नहीं की थी बल्कि अपने घर की बिजली एक दिन अचानक बंद हो जाने पर उसने पावर कम्पनी को इसकी शिकायत की थी।

वृद्ध द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद जब बिजली कर्मचारी उसके घर फाल्ट ढूंढ़ने आए तो उनकी नजर क्लैंरस स्टकी नामक इस वृद्ध व्यक्ति द्वारा लिए गए फर्जी कनैक्शन पर पड़ गई और इस तरह अनजाने में ही बिजली चोरी की इस बहुत पुरानी घटना का अंत हो गया।

फर्जी कनैक्शन पकड़े जाने के बाद स्टकी ने स्वीकार भी किया कि उसने अपने घर के सामने से गुजरने वाली बिजली की लाइन में बीच से तार डालकर अपने घर में बिजली का कनैक्शन ले रखा था। उसने यह भी माना कि वह पिछले 60 सालों से इसी तरह फर्जी कनैक्शन के जरिये बिजली का इस्तेमाल कर रहा है।

इस रहस्योद्घाटन के बाद संबंधित पावर कम्पनी ‘द लोगन लाइट एंड पावर कम्पनी’ का कहना था कि कानून के अनुसार हालांकि स्टकी से पूरे 60 साल का पैसा तो नहीं लिया जा सकता लेकिन फिर भी उसे सात सालों के दौरान इस्तेमाल की गई बिजली के पैसे तो भरने ही पड़ेंगे, जो भारतीय मुद्रा में करीब 38 लाख 54 हजार रुपये बनते हैं। बिजली कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों का यह भी कहना था कि वह स्टकी की उसकी वृद्धावस्था का ख्याल करते हुए उसे जेल में तो बंद नहीं कराना चाहते लेकिन उसके द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली का पूरा पैसा तो कम्पनी वसूल करेगी ही।
प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल

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