कुछ रोचक बातें फिल्मों और फिल्म सितारों की

प्रस्तुति : मीडिया केयर नेटवर्क

’ पुणे फिल्म इंस्टीच्यूट से डिप्लोमा लेकर मुम्बई में जया बच्चन जुहू की उसी बिल्डिंग में रहती थी, जिसमें रेखा रहती थी। आगे चलकर दोनों ने खूब नाम कमाया और साथ में फिल्म ‘सिलसिला’ की।

’ अभिनेत्री माला सिन्हा का असली नाम उनकी बुआ आइडा से प्रेरित होकर एल्डा सिन्हा रखा गया था।

’ जब महात्मा गांधी ने मुम्बई के ग्वालिया टैक स्थित ‘क्रांति मैदान’ में क्रांति का नारा लगाया था तो उस सभा में पृथ्वीराज कपूर के साथ 6 वर्षीय शशि कपूर भी उपस्थित थे।

’ लीना चंद्रावरकर को शक्ति सांवत ने एक कांटेस्ट में फेल किया था, जिस कारण उन्हें धारवाड़ लौटना पड़ा था लेकिन आगे चलकर इसी लीना को सुनील दत्त ने अपनी फिल्म ‘मन का मीत’ में ब्रेक दिया।

’ पहलाज निहालानी की सुपरहिट फिल्म ‘आंखें’ में दिव्या भारती की मौत के बाद उनके स्थान पर रागेश्वरी को लिया गया था।

’ प्रसिद्ध निर्देशक महेश भट्ट ने कैरियर की शुरूआत राज खोसला के सहायक के रूप में की थी।

’ देवानंद की सिफारिश पर गुरूदत्त ने राज खोसला को अपना सहायक बनाया था और आगे चलकर देवानंद ने राज खोसला के निर्देशन में कई फिल्मों में अभिनय किया।

’ विमल कुमार की निर्मात्री पत्नी मनीषा विमल 1974 में बनी फिल्म ‘हम जंगली हैं’ में किरण कुमार की हीरोइन थी।

’ दीपक बलराज विज की फिल्म ‘बम ब्लास्ट’ का पूर्व शीर्षक ‘जान जानू जानम’ था।

’ 5 अगस्त 1974 को अभिनेत्री तनुजा ने एक पुत्री को जन्म दिया था। वह बच्ची ही आज बड़ी होकर काजोल के नाम से फिल्म इंडस्ट्री की टॉप हीरोइन बन चुकी है।

’ सोवियत संघ से अलग हुए राज्य उज्बेकिस्तान में आज भी राजकपूर और वैजयंती माला की फिल्मों को बड़े चाव से देखा जाता है।

’ के. आसिफ की फिल्म ‘मुगले आजम’ में संगतराश की भूमिका निभाने वाले अभिनेता कुमार ने एम. कुमार के नाम से ‘धुन’, ‘देवर’ और ‘बहाना’ फिल्मों का निर्माण किया था।

’ हास्य अभिनेता महमूद ने अपने कैरियर की शुरूआत बतौर ड्राइवर की थी। वे प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक पी. एल. संतोषी की कार चलाया करते थे।

’ हेमंत कुमार द्वारा निर्मित व बीरेन नाग द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बीस साल बाद’ (वहीदा रहमान-विश्वजीत) की कहानी सुप्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार कानन डायल के उपन्यास ‘दि भास्कर विला’ से प्रेरित थी।

’ अपने जमाने के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता एस. नजीर का निधन अपने पैतृक गांव जाते हुए उस समय हुआ, जब वे रास्ते में पड़ने वाले एक रेलवे स्टेशन पर पानी पीने के लिए उतरे। पुलिस तथा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पहचाने न जाने के कारण उनका अंतिम संस्कार एक लावारिस के तौर पर कर दिया गया।

’ आज की प्रसिद्ध टी.वी. आर्टिस्ट व संचालिका फरीदा जलाल ने अपने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत फिल्म ‘बहारों की मंजिल’ (मीना कुमारी-धर्मेन्द्र) से की थी।

’ प्रसिद्ध गीतकार हसरत जयपुरी फिल्मों में आने से पूर्व बस कंडक्टरी किया करते थे।

’ निर्माता निर्देशक ए. आर. कारदार की फिल्म ‘जीवन ज्योति’ पहली ऐसी फिल्म थी, जिसे मुम्बई के ‘नाज’ और ‘लिबर्टी’ सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज किया गया था।

’ अभिनेता प्राण ने अपने कैरियर की शुरूआत ‘आरसी’ और ‘आह’ जैसी भावनात्मक भूमिकाएं निभाकर की थी लेकिन सफलता न मिलने के कारण वे खलनायिकी करने लगे और डी. डी. कश्यप की फिल्म ‘बड़ी बहन’ से वे चोटी के खलनायक बन गए। (एम सी एन)

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