सुना आपने?
महिलाओं के मुकाबले कम सुनते हैं पुरूष
-- योगेश कुमार गोयल (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स)
अमेरिकी वैज्ञानिकों की बात पर विश्वास करें तो पुरूष हमेशा महिलाओं से कम ही सुनते हैं क्योंकि वे सुनने के लिए दिमाग के सिर्फ एक ही हिस्से का इस्तेमाल करते हैं। इस निष्कर्ष के आधार पर वैज्ञानिक महिलाओं को अब यह सलाह दे रहे हैं कि यदि आपके पति या बड़े भाई अथवा परिवार का अन्य कोई पुरूष आपकी बात को अनसुना करते हुए टीवी पर क्रिकेट मैच देखने में मग्न हो तो आप निराश न हों क्योंकि महिलाओं के मुकाबले पुरूष वाकई कम सुनते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सच तो यह है कि पुरूष सुनने के लिए अपने दिमाग का सिर्फ एक ही हिस्सा इस्तेमाल करते हैं जबकि महिलाएं मस्तिष्क के दोनों हिस्सों से सुनती हैं और शायद इसी वजह से बहुत सी महिलाओं को अपने पति बहरे नजर आते हैं। यह अजीबोगरीब निष्कर्ष कैलिफोनिया वि.वि. के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के बाद निकाला गया है। शोध द्वारा वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि मस्तिष्क में ऐमिगडिला नामक एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो भावनात्मक जानकारियों को संचालित करता है। महिलाएं और पुरूष ऐमिगडिला के अलग-अलग हिस्सों द्वारा यह जानकारी संचालित करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क का ऐमिगडिला क्षेत्र मनोभाव और याद्दाश्त को नियंत्रित करता है। शोध में यह भी बताया गया कि पुरूष सुनने के लिए जहां अपने मस्तिष्क के एक ही हिस्से का उपयोग करते हैं, वहीं महिलाएं सुनने के अपने मस्तिष्क के दोनों हिस्सों का प्रयोग करती हैं। इस तथ्य को साबित करने के लिए डॉक्टर लैरी हिल ने 11 पुरूषों और 11 महिलाओं को डरावनी फिल्में दिखाई और पता लगाया कि महिलाएं और पुरूष फिल्म की कहानी को अलग-अलग तरीकों से ऐमिगडिला में स्टोर करते हैं। पुरूषों को फिल्म में दिखाई गई कारों के रंग साफ-साफ याद थे जबकि महिलाओं को कारों के रंग के बजाय अपराधी के बालों और कपड़ों का रंग ज्यादा अच्छी तरह से याद था।
इस शोध के नतीजों के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐमिगडिला के दोनों हिस्से अलग-अलग जानकारियों को नियंत्रित करते हैं। 11 पुरूषों और 11 महिलाओं पर किए गए इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐमिगडिला का एक हिस्सा फिल्म की बारीकियों को इकट्ठा कर रहा था जबकि दूसरा हिस्सा मोटी जानकारियां एकत्रित कर रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं और पुरूषों के अनुभव अलग-अलग होते हैं, इसलिए वे इन अनुभवों के मायने भी अलग-अलग तरीकों से ही तय करते हैं। (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स)
Comments