कम्प्यूटर की-बोर्ड बन रहे हैं जीवाणुओं का अड्डा

-- योगेश कुमार गोयल


होनोलुलु में ट्रिपलर आर्मी मेडिकल सेंटर के संक्रामक रोग विशेषज्ञों के एक दल ने आईयूसी (आपात चिकित्सा इकाई) के 10 कम्प्यूटर की-बोर्ड का दो महीने में 8 बार संवर्धन किया तो पाया कि करीब 25 प्रतिशत की-बोर्ड में स्टेफाइलोक्कोकस औरेस जीवाणु की मौजूदगी है, जिनमें कई की एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो गई थी। आईयूसी में रखे कम्प्यूटरों के की-बोर्ड में प्राणघातक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण पैदा करने वाले एंटरोकोकस जीवाणु भी मिले। की-बोर्ड की जांच किसी महामारी के फैलने के कारण नहीं की गई थी बल्कि यह जानने के लिए की गई थी कि कहीं कम्प्यूटर की-बोर्ड भी हानिकारक बैक्टीरिया के भंडारक तो नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि कम्प्यूटर के की-बोर्ड भी खतरनाक जीवाणुओें के अड्डे बन गए हैं।

रक्तचाप घटाइए, याद्दाश्त बढ़ाइए
बढ़ते रक्तचाप का संबंध हृदय रोगों और हार्ट अटैक से माना जाता रहा है। इसी कारण यह मान्यता रही है कि यदि किसी व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ा हो तो चिकित्सकीय परामर्श लेकर इसे कम करके हृदय रोगों और हृदयाघात से बचा जा सकता है लेकिन एक अध्ययन से यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि रक्तचाप कम करके न सिर्फ हृदयाघात व हृदय संबंधी अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि रक्तचाप कम करके याद्दाश्त भी बढ़ाई जा सकती है। यह शोध लॉस एंजिल्स कॉलेज ऑफ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया था। शोधकर्ताओं का कहना है कि उच्च रक्तचाप के कारण याद्दाश्त में कमी होने वाले व्यक्ति अपना रक्त दबाव कम करके स्मरण शक्ति में सुधार ला सकते हैं। यह शोध उच्च रक्तचाप से पीड़ित 66 व्यक्तियों पर किया गया था।

मोबाइल फोन बना सकता है मनोरोगी

मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल के स्वास्थ्य संबंधी दुप्रभावों के बारे में वैज्ञानिक कई रहस्योद्घाटन कर चुके हैं। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि विज्ञान की नवीनतम खोज हासिल करने को आतुर बैठे व्यक्तियों को अब ऐसे अत्याधुनिक मोबाइल फोन, जिनमें इंटरनेट सेवाएं भी हैं, से सावधान रहना होगा। पश्चिमी जर्मनी की ओल्डनबर्ग यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री उवे शिनेडविंड का कहना है कि हर समय अपने मोबाइल फोन से चिपके रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। उनका कहना है कि पहले विक्रय प्रतिनिधि कार चलाते समय अपने क्लाइंट के साथ गर्मागर्म बहसों से बच जाया करते थे और इस दौरान उनका मस्तिष्क थोड़ा बहुत आराम कर लेता था किन्तु अब इस समय का उपयोग वह ई-मेल व फैक्स भेजने में करता है, जिससे मस्तिष्क को आराम नहीं मिल पाता। इससे तनाव और थकान बढ़ती है। शिनेडविंड का कहना है कि पहले लोग यह सोचकर मोबाइल फोन अपने पास रखते थे कि वे अपनों की पहुंच में रहेंगे परन्तु अब वे मोबाइल फोन में स्थित वाइस मेल बॉक्स विकल्प चालू कर देते हैं। इससे आराम करने के समय भी इसका उपयोग थकान बढ़ाने में कर लिया जाता है।

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