हैल्थ अपडेट : पौधों की चर्बी से होगा गठिया का इलाज

प्रस्तुति: योगेश कुमार गोयल (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स)

जोड़ों में दर्द, जलन व कड़ापन लाने वाली बीमारी को ‘गठिया’ के नाम से जाना जाता है। गठिया नामक बीमारी प्रायः 25 से 50 वर्ष तक के व्यक्तियों को हो सकती है। यह बीमारी शरीर की प्रतिरोध प्रणाली के सही ढ़ंग से काम न कर पाने के कारण स्वस्थ उत्तकों के नष्ट हो जाने की वजह से होती है तथा गंभीर मामलों में गठिया से विकृति भी हो जाती है। इस बीमारी का सबसे बुरा पक्ष यह है कि इसका शरीर के दाएं व बाएं अंगों पर एक साथ असर पड़ता है। इसके कारण जोड़ों में दर्द व जलन के साथ ही वजन कम होना, बुखार, खून की कमी, थकावट व कमजोरी के लक्षण भी देखे जाते हैं।

जोहान्सबर्ग के वैज्ञानिकों ने गठिया के इलाज के लिए पौधों की चर्बी ‘स्टेरोल’ तथा ‘स्टेरोलिन’ के मिश्रण से ‘स्टेरीनॉल’ नामक एक दवा तैयार की है, जिसके बारे में इनका कहना है कि यह दवा गठिया का प्रभावी इलाज तो करती ही है, साथ ही शरीर की प्रतिरोध प्रणाली की अन्य गड़बड़ियों को भी ठीक कर देती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टेरोल व स्टेरोलिन शरीर में बाहरी जीवों से लड़ने वाली कोशिकाओं को सक्रिय करती है। पौधों की ये दोनों चर्बियां जलननाशक होती हैं, इसलिए इनके सेवन से जोड़ों की जलन भी शांत हो जाती है। यह औषधि जलन के कारण हुए नुकसान को ठीक कर रोग पर नियंत्रण करती है। शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि गठिया के इलाज में पारम्परिक दवाओं तथा पौधे की चर्बी से बनी दवा के उपयोग का सबसे बड़ा अंतर यह है कि पारम्परिक दवाएं जहां शरीर की पूरी प्रतिरोधक प्रणाली पर असर डालती हैं, जिससे रोगी को अन्य रोग आसानी से हो सकते हैं, वहीं स्टेरोल तथा स्टेरोलिन से बनी दवाईयां शरीर के सिर्फ उसी स्थान पर असर डालती हैं, जहां प्रतिरोधक प्रणाली सही ढ़ंग से कार्य नहीं कर रही हो। यही वजह है कि पौधों की चर्बी से बनी दवाओं का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। (मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स)

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